Bihar Board class 10th Political Science Solutions, Notes, Question Answer
Table of Contents
loktantrik rajniti class 10 Book Solutions Bihar Board
लोकतंत्र की चुनौतियाँ प्रश्न उत्तर Class 10 Political Science
पाठ 5: लोकतंत्र की चुनौतियाँ
Bihar Board 10th Social Science Political Science Subjective Answers
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लोकतंत्र की चुनौतियां Class 10 Notes Bihar Board Chapter 5 प्रश्न 1.
लोकतंत्र की सफलता निर्भर करती है-
(क) नागरिकों की उदासीनता पर
(ख) नागरिकों की गैर-कानूनी कार्रवाई पर
(ग) नागरिकों की विवेकपूर्ण सहभागिता पर
(घ) नागरिकों द्वारा अपनी जाति के हितों की रक्षा पर
उत्तर-
(ग) नागरिकों की विवेकपूर्ण सहभागिता पर
Loktantra Ki Chunotiya Question Answer Chapter 5 प्रश्न 2.
15वीं लोकसभा चुनाव से पूर्व लोकतंत्र में महिलाओं की भागीदारी थी-
(क) 10 प्रतिशत
(ख) 15 प्रतिशत
(ग) 33 प्रतिशत
(घ) 50 प्रतिशत
उत्तर-
(क) 10 प्रतिशत
Bihar Board Loktantra Ki Chunauti Class 10th Chapter 5 प्रश्न 3.
‘लोकतंत्र जनता का, जनता के द्वारा तथा जनता के लिए शासन है’ यह कथन है
(क) अरस्तू का
(ख) अब्राहम लिंकन का
(ग) रूसो का
(घ) ग्रीन का
उत्तर-
(ख) अब्राहम लिंकन का
लोकतंत्र की चुनौतियां Question Answer प्रश्न 4.
नए विश्व सर्वेक्षण के आधार पर भारतवर्ष में मतदाताओं की संख्या लगभग कितनी है?
(क) 90 करोड़
(ख) 71 करोड़
(ग) 75 करोड़
(घ) 95 करोड़
उत्तर-
(ख) 71 करोड़
प्रश्न 5.
क्षेत्रवाद की भावना का एक परिणाम है-
(क) अपने क्षेत्र से लगाव
(ख) राष्ट्रहित
(ग) राष्ट्रीय एकता
(घ) अलगाववाद
उत्तर-
(घ) अलगाववाद
रिक्त स्थानों की पर्ति करें।
प्रश्न 1.
भारतीय लोकतंत्र ……………… लोकतंत्र है। (प्रतिनिध्यात्मक/एकात्मक)
उत्तर-
प्रतिनिध्यात्मक
प्रश्न 2.
न्यायपालिका में…………..”के प्रति निष्ठा होनी चाहिए।
उत्तर-
सत्य
loktantra ki chunautiyan question answer प्रश्न 3.
भारतीय राजनीति में महिलाओं को……….प्रतिशत आरक्षण देने की मांग की गई है।
उत्तर-
33 प्रतिशत
loktantra ki chunautiyan objective question प्रश्न 4.
वर्तमान में नेपाल की शासन-प्रणाली…………… है।
उत्तर-
लोकतंत्रात्मक
प्रश्न 5.
15वीं लोकसभा चुनाव में यू. पी. ए. द्वारा “…………..” सीटों पर विजय प्राप्त की गई।
उत्तर-
265
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न-उत्तर
प्रश्न 1.
लोकतंत्र जनता का, जनता के द्वारा तथा जनता के लिए शासन है। कैसे ?
उत्तर-
लोकतंत्र शासन का वह रूप है जिसके शासन की सम्पूर्ण शक्ति जनता में निहित रहती है। दूसरे शब्दों में, लोकतंत्र उस शासन व्यवस्था को कहते हैं जहाँ जनता शासन-कार्यों में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से भाग लेती है। शासन जनता की इच्छाओं तथा आकांक्षाओं के अनुरूप संचालित होता है। अतः लोकतंत्र जनता द्वारा संचालित, जनता का एवं जनता के लिए शासन है।
प्रश्न 2.
केन्द्र और राज्य सरकारों के बीच आपसी टकराव से लोकतंत्र कैसे प्रभावित होता है?
उत्तर-
केन्द्र और राज्यों के बीच आपसी टकराव से आतंकवाद से लड़ने और जन-कल्याणकारी योजनाओं (शिक्षा, जाति भेदभाव, लिंग भेद, नारी शोषण, बाल मजदूरी एवं सामाजिक कुरीतियों) इत्यादि के सुचारु क्रियान्वयन में बाधा पहुंचती है, जबकि कोई भी अपेक्षित लक्ष्य हासिल करने के लिए केन्द्र और राज्य सरकारों के बीच बेहतर सामंजस्य एवं तालमेल आवश्यक है।
प्रश्न 3.
परिवारवाद क्या है ?
उत्तर-
परिवारवाद ऐसी मानसिकता है जिससे राजनीति भी प्रभावित हुई है। इसके अन्तर्गत राजनीतिक दल के सुप्रीमों या अध्यक्ष चुनाव में अपने ही परिवार के ज्यादा-से-ज्यादा सदस्यों को टिकट देते हैं। अत: परिवारवाद राजनीति को काफी हद तक प्रभावित करती है।
प्रश्न 4.
आर्थिक अपराध का अर्थ स्पष्ट करें।
उत्तर-
वैसा अपराध जो आर्थिक कारणों के लिए होती है जैसे बैंक डकैती, क्लर्क, अफसर द्वारा घूस लेना, मिलावट, जमाखोरी, कालाबाजारी, सरकारी खजाने का दुरुपयोग करना एवं सरकारी सम्पत्ति को हड़पना इत्यादि।
प्रश्न 5.
सूचना का अधिकार कानून लोकतंत्र का रखवाला है, कैसे?
उत्तर-
सूचना का अधिकार कानून द्वारा लोगों को जानकार बनाने और सरकार के काम-काज एवं उसकी नीति जानने का अधिकार जनता को दिया गया है। ऐसा कानून भ्रष्टाचार पर रोक लगाता है। सूचना का अधिकार होने से लोग सरकार की प्रत्येक नीति एवं कार्य के बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं। अतः सूचना का अधिकार कानून लोकतंत्र का रखवाला है।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
लोकतंत्र से क्या समझते हैं ?
उत्तर-
लोकतंत्र या प्रजातंत्र आंग्ल भाषा के डेमोक्रेसी शब्द का हिन्दी रूपान्तर है। “डेमोक्रेसी” शब्द दो यूनानी शब्दों के योग से बना है, ‘डेमोस’ और ‘क्रेशिया’, जिसका अर्थ है ‘जनता’ और ‘शासन’। इस प्रकार व्युत्पति की दृष्टि से लोकतंत्र का अर्थ है-जनता का शासन।
अतः लोकतंत्र शासन का वह रूप है जिसमें शासन की सम्पूर्ण शक्ति जनता में निहित रहती है। दूसरे शब्दों में, लोकतंत्र उस शासन व्यवस्था को कहते हैं, जहाँ जनता शासन-कार्यों में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से भाग लेती है। शासन जनता की इच्छाओं तथा आकांक्षाओं के अनुरूप संचालित होता है। अब्राहम लिंकन के शब्दों में “लोकतंत्र जनता का, जनता के लिए और जनता द्वारा शासन है।’ डायसी के अनुसार”, “लोकतंत्र शासन का वह रूप है जिसमें शासक वर्ग सारे राष्ट्र की जनता का एक बड़ा अंश है।” सीले के विचारानुसार, “लोकतंत्र वह शासन है जिसमें प्रत्येक व्यक्ति का भाग हो।” स्पष्ट है कि लोकतंत्र में शासन को जनता द्वारा निश्चित किया जाता है। आधुनिक समय में लोकतंत्र केवल शासन का रूप नहीं है, अपितु जीवन-दर्शन है।
प्रश्न 2.
गठबंधन की राजनीति कैसे लोकतंत्र को प्रभावित करती है?
उत्तर-
स्पष्ट बहुमत नहीं आने पर सरकार बनाने के लिए छोटी-छोटी क्षेत्रीय पार्टियों का आपस में गठबंधन करना, वैसे उम्मीदवारों को भी चुन लिया जाना, दो दागी प्रवृत्ति या आपराधिक पृष्ठभूमि के होते हैं, लोकतंत्र के लिए एक अलग ही चुनौती है। गठबंधन में शामिल राजनीतिक दल अपनी आकांक्षाओं और लाभों की संभावनाओं के मद्देनजर ही गठबंधन करने के लिए प्रेरित होते हैं, जिससे प्रशासन पर सरकार की पकड़ ढीली हो जाती है।
गठबंधन में राजनीतिक पार्टियों के प्रतिनिधि सरकार के कार्यक्रमों, कार्यों एवं नीतियों में हस्तक्षेप करते हैं जिससे सरकार को कल्याणकारी कामों में मुश्किल आती है जिससे काम-काज सुचारु रूप से चलाना मुश्किल हो जाता है। लोकतांत्रिक तरीके से काम-काज नहीं हो पाता। अतः गठबंधन की राजनीति लोकतंत्र को प्रभावित करती है।
प्रश्न 3.
नेपाल में किस तरह की शासन व्यवस्था है? लोकतंत्र की स्थापना में वहाँ क्या-क्या बाधाएँ हैं?
उत्तर-
नेपाल में लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था है। प्रयोग सफलता एवं असफलता के बीच फंस गया है। लोकतंत्र की स्थापना में वहाँ सख्त राजनीतिक दल का अभाव, योग्य एवं कर्मठ राष्ट्रीय नेता का अभाव एवं राजशाही के प्रति जनता की स्थायी भक्ति इत्यादि बाधाएं लोकतंत्र की बहाली के मुद्दे हैं।
प्रश्न 4.
क्या शिक्षा का अभाव लोकतंत्र के लिए चुनौती है ?
उत्तर-
अशिक्षा दुर्गुणों की जननी है। लोकतंत्र की सफलता के लिए शिक्षित नागरिक का होना अत्यन्त आवश्यक है। शिक्षित नागरिक ही अपने अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में सही जानकारी रख सकते हैं और उनका सही उपयोग कर सकते हैं। लोकतंत्र का सफल परिचालन विभिन्न कार्यक्षेत्रों में नागरिक की सक्रिय सहभागिता पर ही निर्भर है। यह सहभागिता तभी प्रभावी हो सकती है जब नागरिक शिक्षित हों, उनमें उचित और अनुचित का विभेद कर सकने का विवेक हो, उन्हें अपने अधिकारों एवं दायित्वों का ज्ञान हो। यह विवेक, ज्ञान, शिक्षा के बिना सम्भव नहीं है। अशिक्षित व्यक्ति और पशु में कोई अधिक अन्तर नहीं होता।
वह अच्छे और बुरे की सही पहचान नहीं कर पाता। वह रूढ़ियों, अन्धविश्वासों और पाखण्ड की दुनिया से ऊपर उठकर आधुनिक वैज्ञानिक युग को समझ भी नहीं सकता। विज्ञान ने मानव-प्रगति के लिए जो विविध साधन खोज निकाले हैं, कृषि के वैज्ञानिक विधियों का समावेश किया है, मानव स्वास्थ्य पर नवीन प्रयोग किए हैं, इन सबका लाभ भला अशिक्षित व्यक्ति क्या उठा सकता है? अतएव अशिक्षित नागरिकों का लोकतंत्र, लोकतंत्र का मजाक ही होगा। वास्तव में लोकतंत्र की ईमारत शिक्षा रूपी नींव पर ही खड़ी हो सकती है। अतः लोकतंत्र की सफलता के लिए शिक्षित नागरिकों का होना अत्यन्त आवश्यक है। अतः हम कह सकते हैं कि शिक्षा का अभाव लोकतंत्र के लिए चुनौती है।
प्रश्न 5.
आतंकवाद लोकतंत्र की चुनौती है। कैसे?
उत्तर-
किसी स्थापित व्यवस्था का विनाश कर अव्यवस्था तथा आतंक फैलाना आतंकवाद है। आतंकवाद के जन्म के मूल कारणों में धार्मिक कट्टरता या आर्थिक विषमता होती है। हिंसा किसी भी राजनीतिक व्यवस्था के लिए अच्छी नहीं होती है। लोकतंत्र में हिंसा या आतंक होने से राजनीतिक अस्थिरता एवं असंतुलन की स्थिति उत्पन्न हो जाती है, जिससे लोकतांत्रिक काम-काज पर बुरा प्रभाव पड़ता है। अतः आतंकवाद लोकतंत्र के लिए चुनौती होता जा रहा है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
वर्तमान भारतीय राजनीति में लोकतंत्र की कौन-कौन-सी चुनौतियाँ हैं ? विवेचना करें।
उत्तर-
भारतीय प्रजातंत्र के सामने अनेक चुनौतियाँ हैं जो निम्नलिखित हैं
- शिक्षा का अभाव- भारत में शिक्षा की कमी है, ज्यादा लोग अशिक्षित हैं। फलस्वरूप जनता प्रजातंत्र का महत्व नहीं समझती हैं उसे अपने अधिकारों और कर्तव्यों की सही जानकारी नहीं होने के कारण सरकार के कामों में दिलचस्पी नहीं ले पाती।
- सामाजिक असमानता- प्रजातंत्र की सफलता के लिए सामाजिक समानता जरूरी है। हमारे देश में जाति, धर्म, ऊँच-नीच का भेदभाव बहुत अधिक है। समाज के लोगों में सहयोग का अभाव है। समाज के सभी लोग अपनी भलाई पर विशेष ध्यान देते हैं।
- आर्थिक असमानता- भारत में आर्थिक असमानता बड़े पैमाने पर है। कुछ लोग ही अमीर हैं, अधिकतर लोग गरीब हैं।
- मतदान का दुरुपयोग- भारतीय प्रजातंत्र में भारतीय जनता मतदान के महत्व को नहीं समझ पाती, अत: अपने मतदान का दुरुपयोग करती है। बूथ छापामारी या असामाजिक तत्वों के उपद्रव के कारण लोग अपना मतदान ठीक से नहीं कर पाते।
- अव्यवस्थित राजनीतिक दल- राजनीतिक दल प्रजातंत्र का प्राण होता है। राजनीतिक ग का नहीं होना भारतीय प्रजातंत्र के लिए दुर्भाग्य की बात है। छोटे-छोटे ‘राजनीतिक दल भारतीय प्रजातंत्र के लिए गंभीर समस्या हैं।
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प्रश्न 2.
बिहार की राजनीति में महिलाओं की भागीदारी लोकतंत्र के विकास में कहाँ तक सहायक है?
उत्तर-
लोकतंत्र की सफलता के लिए महिलाओं का राजनीति में भागीदारी लोकतंत्र के विकास में बहुत ही महत्वपूर्ण है। देश की आधी आबादी महिलाओं की है। इसलिए महिलाओं ने आजादी के समय बढ़-चढ़कर भाग लिया था। उस समय की महत्वपूर्ण नारी नेता सरोजनी नायडू, अरुणा आसिफ अली, विजय लक्ष्मी पण्डित इत्यादि ने भारत की आजादी में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
हमारे राज्य बिहार में स्वतंत्रता के समय महिलाएं अंग्रेजों के सामने डटी रहीं। इस प्रदेश में महिलाएं राजनीति के क्षेत्र में अपना नाम रौशन कर रही हैं। जिसका ज्वलंत उदाहरण वर्तमान में 15वीं लोकसभा के अध्यक्ष मीरा कुमार हैं। इससे पूर्व बिहार में राबड़ी देवी ने मुख्यमंत्री पद को सुशोभित किया है। महिला आरक्षण के लिए महिलाओं ने बिहार में आंदोलन किया है जिससे यह पता चलता है कि राजनीति की समझ महिलाओं में पैदा हुई है। बिहार की राजनीति में महिलाओं की भागीदारी इस बात को लेकर और बढ़ी है कि महिला आरक्षण विधेयक संसद में पारित होने के लिए राज्य सभा में गया तो महिलाओं ने इस पर खुशी जाहिर की।
किसी भी देश के विकास के लिए महिलाओं को शिक्षित होना और सशक्त होना ज्यादा जरूरी है, क्योंकि महिलाओं की संख्या देश की आबादी की आधी है। बिहार की लगभग सभी पार्टियों ने चुनाव में लड़ने के लिए महिलाओं को टिकट दी है जिससे यह पता चलता है कि लोकतांत्रिक शासन प्रणाली में महिलाएँ राजनीति के क्षेत्र में अपना योगदान अच्छी तरह से दे सकती हैं। अतः बिहार की राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बहुत ही महत्वपूर्ण होगी।
बिहार की महिलाएं राष्ट्र की प्रगति के लिए पुरुषों के साथ कंधे-से-कंधा मिलाकर काम कर रही हैं। खेतीबारी से लेकर वायुयान उड़ाने और अंतरिक्ष तक जा रही है। इसके बावजूद वे दोयम दर्जे की शिकार हैं। ग्रामीण महिलाओं के लिए सरकार ने नई पंचायती राज-व्यवस्था में आरक्षण का प्रावधान किया है। गाँवों में आज महिलाएं पंच और सरपंच चुनी जा रही हैं। अतः हम कहते हैं कि राजनीति में महिलाओं की भागीदारी से बिहार राज्य का निरन्तर विकास होगा और लोकतंत्र की जड़ बिहार में और मजबूत होगी।
प्रश्न 3.
परिवारवाद और जातिवाद बिहार में किस तरह लोकतंत्र को प्रभावित करता है ?
उत्तर-
बिहार में परिवारवाद और जातिवाद लोकतंत्र को कई मायने में प्रभावित कर रहा है। हाल के दशकों में यहाँ पर परम्परा बनी कि जिस जनप्रतिनिधि के निधन या इस्तीफे के कारण कोई सीट खाली हुई उसके ही परिवार के किसी व्यक्ति को चुनाव का टिकट दे दिया जाये। यह बिहार के लोकतंत्र के साथ-साथ भारतीय लोकतंत्र को भी प्रभावित करता है। जातिवाद के आधार पर बिहार का जाति के आधार पर बंटवारा यहाँ के लोकतंत्र को एक खतरा है।
बिहार की राजनीति के परिप्रेक्ष्य में हम कह सकते हैं कि जातिवाद और परिवारवाद लोकतंत्र को कमजोर बनाता है। चुनाव के समय परिवारवाद और जातिवाद के आधार पर टिकटों का बँटवारा होता है जिससे योग्य प्रतिनिधि या उम्मीदवार नहीं आ पाते हैं। जातीय समीकरण बनाने के चक्कर में कभी-कभी अयोग्य उम्मीदवार का चयन हो जाता है जो लोकतंत्र के लिए काफी घातक है। उसी तरह परिवारवाद लोकतंत्र के लिए बहुत बड़ी चुनौती है। उदाहरण के लिए 2009 में सम्पन्न बिहार विधान सभा के उपचुनाव के दौरान जनता दल यू. ने परिवार को तरजीह नहीं दिया जिससे पार्टियों में आंतरिक कलह उत्पन्न हो गया और लोकतंत्र को उससे काफी नुकसान पहुंचा।
प्रश्न 4.
क्या चुने हुए शासक लोकतंत्र में अपनी मर्जी से सब कुछ कर सकते हैं ?
उत्तर-
लोकतंत्र में जनता अपने प्रतिनिधियों को चुनाव के माध्यम से संसद या विधानसभा में भेजती है। चुने हुए प्रतिनिधि जनता की समस्याओं को सरकार के समक्ष प्रस्तुत करते हैं और उन समस्याओं के निराकरण के लिए सरकार से मांग करते हैं। प्रतिनिधि अपनी मर्जी से सब कुछ नहीं कर सकते हैं क्योंकि लोकतंत्र में जनता सर्वमान्य होती है। यदि शासक अपनी मर्जी का काम करते हैं तो जनता उसके विरुद्ध आंदोलन करती है जिससे शासक को खतरा होने लगता है कि ‘ वे सरकार से बाहर हो सकते हैं या जनता भविष्य में उसे नकार न दें। यह भय शासक को अपनी मर्जी से काम करने से बचाता है। परन्तु हाल के वर्षों में यह देखने में आया है कि शासक वर्ग अपनी मनमानी करते हैं जिससे लोकतंत्र को खतरा होने लगता है। वास्तव में लोकतंत्र में जनता सर्वोपरि होती है साथ ही ताकतवर होती है। वह चाहे तो शासक को अपनी मर्जी का काम करने से रोक सकती है।
प्रश्न 5.
न्यायपालिका की भूमिका लोकतंत्र की चुनौती है कैसे? इसके सुधार के उपाय क्या हैं?
उत्तर-
भारतीय लोकतंत्र प्रतिनिध्यात्मक लोकतंत्र है। इसमें शासन का संचालन जन-प्रतिनिधियों द्वारा किया जाता है। भारतीय लोकतंत्र के तीन अंग हैं-कार्यपालिका, विधायिका, न्यायपालिका। लोकतंत्र में न्यायपालिका की भूमिका लोकतंत्र के लिए चुनौती बनती जा रही है। वह अपने क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर कार्यपालिका एवं विधायिका को प्रभावित करती है जिससे संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। जब विधायिका कानून पारित करती है तो न्यायपालिका उस कानून को व्यावहारिक-सौर पर उसमें फेर-बदल के लिए विधायिका पर दबाव डालने की कोशिश करती है जिससे टकराव की स्थिति उत्पन्न होती है।
न्यायपालिका को विधायिका द्वारा बनाये गये कानून पर चिंतन मनन करना चाहिए जिससे तीनों अंग कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका सामंजस्य बनाकर लोकतंत्र को मजबूत कर सकते हैं।
प्रश्न 6.
आतंकवाद लोकतंत्र की चुनौती है। स्पष्ट करें।
उत्तर-
किसी स्थापित व्यवस्था का विनाश कर अव्यवस्था तथा आतंक फैलाना आतंकवाद है। आतंकवाद के जन्म के मूल कारणों में धार्मिक कट्टरता या आर्थिक विषमता होती है। हिंसा किसी भी राजनीतिक व्यवस्था के लिए अच्छी नहीं होती है। लोकतंत्र में हिंसा या आतंक उत्पन्न हो जाता है जिससे लोकतांत्रिक काम-काज पर बुरा प्रभाव पड़ता है। अतः आतंकवाद लोकतंत्र के लिए चुनौती होता जा रहा है।
आतंकवाद पूरे विश्व में एक ज्वलंत मुद्दा बन गया है। जिसका समाधान विश्व स्तर पर भी हो रहा है। फिर भी आतंकवाद दुनिया के लोकतंत्रात्मक शासन व्यवस्था में चुनौती है। यह चुनौती लोकतंत्र के लिए घातक बनता जा रहा है।
Bihar Board Class 10 History लोकतंत्र की चुनौतियाँ Additional Important Questions and Answers
वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
महिला आरक्षण बिल विधेयक में महिलाओं के लिए कितने प्रतिशत आरक्षण की बात कही गई है?
(क) 22 प्रतिशत
(ख) 33 प्रतिशत
(ग) 10 प्रतिशत
(घ) 44 प्रतिशत
उत्तर-
(ख) 33 प्रतिशत
प्रश्न 2.
एनक्रुमा कहाँ के राष्ट्रपति चुने गए थे?
(क) पोलैण्ड
(ख) मैक्सिको
(ग) चीन
(घ) घाना
उत्तर-
(घ) घाना
प्रश्न 3.
इनमें कौन लोकतंत्र की चुनौती का उदाहरण नहीं है ?
(क) दक्षिण अफ्रीका में गोरे अल्पसंख्यकों को दी गई रियायतें वापस लेने का दबाव
(ख) सऊदी अरब में महिलाओं को सार्वजनिक गतिविधियों में हिस्सा लेने की अनुमति नहीं
(ग) भारत में अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा
(घ) श्रीलंका में सरकार और तमिलों के बीच तनाव
उत्तर-
(क) दक्षिण अफ्रीका में गोरे अल्पसंख्यकों को दी गई रियायतें वापस लेने का दबाव
प्रश्न 4.
लोकतंत्र की सफलता के लिए एक आवश्यक शर्त क्या हैं ?
(क) शिक्षा का अभाव
(ख) बेरोजगारी
(ग) लोकतंत्र में आस्था
(घ) मतदान का दुरुपयोग
उत्तर-
(ग) लोकतंत्र में आस्था
प्रश्न 5.
लोकतंत्र के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा क्या है ?
(क) लोकतंत्र में आस्था
(ख) अशिक्षा
(ग) सामाजिक समानता
(घ) राजनीतिक जागृति
उत्तर-
(ख) अशिक्षा
प्रश्न 6.
स्विट्जरलैंड में महिलाओं को मताधिकार किस वर्ष प्राप्त हुआ?
(क) 1848 में
(ख) 1871 में
(ग) 1971 में
(घ) 1991 में
उत्तर-
(ग) 1971 में
प्रश्न 7.
भारतीय लोकतंत्र की कमजोरियों को दूर करने के लिए सर्वश्रेष्ठ उपाय क्या है ?
(क) आर्थिक असमानता
(ख) मीडिया पर नियंत्रण
(ग) सुधारात्मक कान्नों का निर्माण
(घ) बूथ छापामारी
उत्तर-
(ग) सुधारात्मक कान्नों का निर्माण
अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
क्षेत्रवाद क्या है ?
उत्तर-
यह पक्षपात से उत्पन्न ऐसी सोच है, जो किसी क्षेत्र विशेष की जनता से यह भावना उत्पन्न करती है कि उसका क्षेत्र ही सर्वश्रेष्ठ है और बाकी सब साधारण। इसके कारण सामाजिक विषमताएं पैदा हो जाती है जो किसी भी लोकतंत्र के लिए खतरनाक है।
प्रश्न 2.
विधि का शासन क्या है ?
उत्तर-
विधि के शासन से तात्पर्य यह है कि लोकतंत्र में सरकार संविधान द्वारा निर्दिष्ट अधिकारों के अनुसार ही जनता पर शासन करे। इस सिद्धांत के अनुसार सरकार को जनता के प्रति उत्तरदायी बनाया गया। पहले राजतंत्रात्मक व्यवस्था में राजा ही समस्त शक्तियों का स्रोत होता था लेकिन लोकतंत्र में सरकार मनमानी नहीं कर सकती है।
प्रश्न 3.
बूथ-छापामारी से क्या समझते हैं ?
उत्तर-
चुनावी दंगल में बूथ छापामारी वह दाँव है जिसे कोई उम्मीदवार दूसरे उम्मीदवार को हराने के लिए लगाता है। जिस उम्मीदवार के पास ताकत है, जिसका बोलवाला है उसके समर्थक बूथों पर छापामारी करके सारे मत अपने पक्ष में डलवाने में समर्थ हो जाते हैं। इसे ही बूथ छापामारी कहते हैं।
प्रश्न 4.
व्यक्ति की गरिमा का उल्लेख संविधान के किस भाग में है।
उत्तर-
व्यक्ति की गरिमा का उल्लेख संविधान की प्रस्तावना में है।
प्रश्न 5.
लोकतंत्र से जनता की सबसे बड़ी अपेक्षा क्या है ?
उत्तर-
लोकतंत्र से जनता की अनेक अपेक्षाएँ हैं लेकिन जो सबसे बड़ी अपेक्षा है वह है जनता को लोकतांत्रिक व्यवस्था में आर्थिक समस्याओं से जूझना नहीं पड़े। आर्थिक स्वतंत्रता ही लोकतंत्र का आधार है। भूखे व्यक्ति के लिए लोकतंत्र का कोई महत्व नहीं रह जाता है।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
लोकतांत्रिक शासन-व्यवस्था के समक्ष उपस्थित तीन चुनौतियों का संक्षिप्त विवरण दें।
उत्तर-
लोकतांत्रिक शासन-व्यवस्था के समक्ष उपस्थित तीन चुनौतियां निम्नलिखित हैं
- मौलिक आधार बनाने की चुनौती- अनेक देश आज भी राजशाही, तानाशाही और फौजी शासन के अधीन है जहां लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था को अपनाने का प्रयास चल रहा है। ऐसे देशों में लोकतांत्रिक शासन-व्यवस्था के लिए तैयार कराने के लिए मौलिक आधार बनाना आवश्यक है जिससे लोकतांत्रिक सरकार का गठन किया जा सके।
- विस्तार की चुनौती- लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था के सामने दूसरी चुनौती इसके विस्तार की है। केंद्र, इकाइयों, स्थानीय निकायों, पंचायतों, प्रशासनिक इकाइयों की सभी संस्थाओं को लोकतांत्रिक बनाने की आवश्यकता है। इतना ही नहीं सत्ता में भागीदारी को भी विस्तृत बनाना है।
- सशक्त बनाने की चुनौती- लोकतंत्र के सामने सबसे बड़ी चुनौती उसे सशक्त बनाने की है। जनता की प्रतिनिधि, संस्थाओं और उसके सदस्यों और स्वयं जनता के सामने लोकतंत्र को सशक्त बनाने की चुनौती है।
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प्रश्न 2.
लोकतांत्रिक सुधार की आवश्यकता क्यों पड़ती है ?
उत्तर-
लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था की सबसे बड़ी विशेषता यह होता है कि इसमें अपनी कमजोरियों को सुधारने की क्षमता है। लोकतांत्रिक शासन की चुनौतियों को लोकतांत्रिक सुधार द्वारा डटकर सामना किया जा सकता है। प्रत्येक लोकतांत्रिक शासन-व्यवस्था की अपनी अलग-अलग कमजोरियाँ होती हैं और उसमें अलग-अलग लोकतांत्रिक सुधारों की भी आवश्यकता है। लोकतांत्रिक सुधार के द्वारा लोकतंत्र की चुनौतियों या कमजोरियों को दूर किया जा सकता है।
प्रश्न 3.
लोकतंत्र से जनता की अपेक्षाओं का संक्षिप्त विवरण दें।
उत्तर-
लोकतंत्र को शासन का सर्वश्रेष्ठ रूप माना जाता है। यह जनता का जनता के लिए और जनता द्वारा शासन ही। स्वाभाविक है कि इससे जनता की अपेक्षाएँ भी अधिक होगी। लोकतंत्र से जनता की अपेक्षा यह है कि प्रत्येक व्यक्ति से समान व्यवहार हो। समानता को लोकतांत्रिक व्यवस्था की आत्मा कहा जाता है। लोकतंत्र से जनता को जो सबसे बड़ी अपेक्षा है वह यह है कि उसे आर्थिक समस्याओं से जुझना नहीं पड़े। लोकतंत्र से जनता की एक अपेक्षा यह भी है कि इस शासन व्यवस्था में उनका जीवन सुरक्षित हो। लोकतंत्र में घृणा, स्वार्थ, द्वेष, ईर्ष्या, जैसी बुराइयों के पनपने से नैतिकता समाप्त हो जाती है। लोकतंत्र से जनता की तक अपेक्षा यह भी है कि उसकी शासन व्यवस्था में उसकी गरिमा का भी संवर्धन हो।
प्रश्न 4.
बिहार में लोकतंत्र की जड़ें कितनी गहरी हैं.?
उत्तर-
बिहार भी भारतीय लोकतंत्र का एक अंग है। बिहार में लोकतांत्रिक व्यवस्था प्राचीन-काल में ही विद्यमान थी। बिहार के ही वैशाली जिले में लिच्छवियों का गणतंत्र था। लिच्छवियों की शासन प्रणाली गणतांत्रिक पद्धति पर आधारित थी। राज्य की शक्ति जनता में निहित थी। अत: यह कहना गलत नहीं होगा कि बिहार में लोकतंत्र की जड़ें काफी गहरी थी। भारत की तरह बिहार में भी लोकतंत्र सफलता के मार्ग पर अग्रसर है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था की महत्त्वपूर्ण चुनौतियों का वर्णन करें।
उत्तर-
लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था के समक्ष विभिन्न तरह की चुनौतियाँ हैं जो निम्नलिखित हैं
- मौलिक आधार बनाने की चुनौती- यह सही है कि इक्कीसवीं सदी लोकतंत्र की शताब्दी है। परंतु अभी भी विश्व के अनेक देश राजशाही, तानाशाही और फौजी शासन के अधीन है। वे उनके शासन से मुक्ति चाहते हैं और लोकतंत्र को अपनाना चाहते हैं। इसके लिए बहुत से देशों में प्रयास तेजी से चल रहे हैं। ऐसे देशों में लोकतांत्रिक शासन-व्यवस्था के लिए तैयार कराने के लिए मौलिक आधार बनाना आवश्यक है। मौलिक आधार बनाकर ही वहाँ लोकतांत्रिक सरकार का गठन किया जा सकता है।
- विस्तार की चुनौती- जहाँ लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था की स्थापना हो चुकी है और जहाँ मौलिक आधारों को बनाया गया है उसे सर्वत्र लागू करना है। इसका मतलब है कि लोकतांत्रिक शासन-व्यवस्था के सामने विस्तार की चुनौती है। केंद्र, इकाइयों,स्थानीय निकायों, पंचायतों, प्रशासनिक इकाइयों की सभी संस्थाओं को लोकतांत्रिक बनाने की आवश्यकता है। इतना ही सत्ता में भागीदारी को भी विस्तृत बनाना है। इसमें वंश, लिंग, जाति, धर्म, संप्रदाय भाषा, स्थान आदि के आधार पर किसी को वंचित नहीं करना है। आधुनिक युग में विकसित अथवा विकासशील दोनों प्रकार की लोकतांत्रिक
शासन-व्यवस्थाओं के लिए यह चुनौती एक-समान है। - सशक्त बनाने की चुनौती- लोकतंत्र के सामने सबसे बड़ी चुनौती उसे सशक्त बनाने की है। यह चुनौती प्रत्येक लोकतांत्रिक शासन-व्यवस्था के सामने किसी-न-किसी रूप में विद्यमान है। जनता की प्रतिनिधि संस्थाओं और उसके सदस्यों का जनता के प्रति जो व्यवहार है, उसे मजबूत करने की चुनौती बहुत बड़ी है। लोकतांत्रिक शासन की जितनी संस्थाएं हैं, उसकी कार्य पद्धति में सुधार लाना आवश्यक है। ऐसा करने पर ही संस्थाएँ भी सशक्त बनेंगी और लोकतंत्र भी।
प्रश्न 2.
लोकतांत्रिक शासन-व्यवस्था की कमजोरियों को दूर करने के उपायों का वर्णन करें।
उत्तर-
- अपनी कमजोरियों को सुधारने की क्षमता- लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था की सबसे बड़ी विशेषता यह होती है कि इसमें अपनी कमजोरियों को सुधारने की क्षमता है। लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था की कमजोरियों को दूर करने के उपाय निम्नलिखित हैं- शिक्षा का प्रसार शिक्षा का प्रसार कर लोकतंत्र के कमजोरियों को दूर किया जा सकता है। लोकतंत्र के विकास में मार्ग में अशिक्षा सबसे बड़ी बाधा है। इसलिए शिक्षा का प्रसार किया जा रहा है। भारत सरकार द्वारा 1986 में ही नई शिक्षा नीति की घोषणा कर शिक्षा के क्षेत्र में सुधार लाया जा रहा है।
- बेरोजगारों को रोजगार – बेरोजगारी की समस्या भी लोकतंत्र की एक कमजोरी है। अब बेरोजगारी दूर करने के काफी प्रयास किए जा रहे हैं। लघु एवं कुटीर उद्योगों के विकास पर जोर दिया जा रहा है। पंचवर्षीय योजनाओं में बेरोजगारी की समस्या के समाधान पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
- पंचायती राज- सतत जागरूकता ही लोकतंत्र को सफलता के मार्ग पर ले जा सकती है। पंचायती राज की स्थापना इसी उद्देश्य से की गई है। ग्राम पंचायतें लोकतंत्र के मुख्य आधार है। ग्राम पंचायतों के कामों में भाग लेने से सामान्य लोगों में भी लोकतंत्र के प्रति रुचि बढ़ी है।
- सुधारात्मक कानूनों का निर्माण- लोकतंत्रात्मक सुधार में सुधारात्मक कानूनों के निर्माण की भूमिका महत्वपूर्ण मानी जाती है। सरकार कानून बनाते समय इस बात पर विशेष ध्यान रखती है कि राजनीति पर इसका प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़े तथा वैसे कानूनों का निर्माण हो जिससे जनता के स्वतंत्रता के अधिकार में वृद्धि हो।
- आंदोलन हित समूहों और मीडिया की स्वतंत्रता- लोकतांत्रिक सुधार के लिए। लोकतांत्रिक आंदोलनों और संघर्षों, विभिन्न हित समूहों और मीडिया की स्वतंत्रता अवश्य सुनिश्चित की जानी चाहिए।
- निष्पक्ष निर्वाचन पद्धति- देश में निष्पक्ष चुनाव संपन्न कराने के लिए एक निष्पक्ष निर्वाचन आयोग का गठन किया गया है। निष्पक्ष चुनाव पर ही लोकतंत्र का भविष्य निर्भर है। भारत सहित अन्य लोकतांत्रिक देश इन्हीं उपायों से अपनी कमजोरियों को दूर कर सकते हैं लोकतंत्र की चुनौतियों का सामना कर सकते हैं।
प्रश्न 3.
भारत लोकतंत्र जनता की उन्नति, सुरक्षा और गरिमा के संवर्द्धन में कहाँ तक सहायक है?
उत्तर-
लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनता अपनी उन्नति की आकांक्षा रखती है और साथ-साथ अपनी सुरक्षा एवं गरिमा को बनाए रखने की भी अपेक्षा रखती है। लोकतंत्र कहां तक इसमें सहायक है, निम्नलिखित तर्कों के द्वारा इसको स्पष्ट किया जा सकता है –
- जनता की उन्नति- भारतीय लोकतंत्र का उद्देश्य अपने नागरिकों का अधिकतम कल्याण है। इसे कल्याणकारी स्वरूप प्रदान किया गया है। भारतीय लोकतंत्र को समाजवादी स्वरूप देने के उद्देश्य से ही भारतीय संविधान में राज्य के नीति निर्देशक तत्व के अंतर्गत अनेक प्रावधान किए गए हैं। इन प्रावधानों का उद्देश्य नागरिकों की ‘अधिकतम उन्नति’ है। ये प्रावधान हैं। राज्य के सभी नागरिकों की जीविका के साधन प्राप्त करने का समान अधिकार है। पुरुषों और स्त्रियों को समान कार्यों के लिए समान वेतन मिले।
- जनता की सुरक्षा- भारतीय लोकतंत्र जनता को सुरक्षा प्रदान करने में भी सफल नहीं हो पा रही है। भारत की जनता आतंकवाद, नक्सलवाद, अपहरण, हत्या, अपराध जैसी घटनाओं से त्रस्त है। स्वाभाविक है कि जबतक नागरिकों को जीवन ही सुरक्षित नहीं रहेगा तबतक वे उन्नति के पक्ष पर अग्रसर कैसे हो सकेंगे। भारतीय लोकतंत्र की सबसे बड़ी-बड़ी चुनौती सुरक्षा की है। ऐसा नहीं है कि भारतीय लोकतंत्र इस चुनौती को नजरअंदाज कर रहा है। सुरक्षा नहीं तो विकास नहीं’ के कथन से भारतीय लोकतंत्र पूर्णरूपेण अवगत है और भारत को विकास के पथ पर अग्रसर करने के लिए सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम करने के लिए सतत प्रयत्नशील है।
- व्यक्ति की गरिमा में वृद्धि- व्यक्ति की गरिमा के संवर्द्धन के लिए भी भारतीय लोकतंत्र सजग है। जातिवाद, संप्रदायवाद, क्षेत्रवाद, लैंगिक विभेद अमीर-गरीब का विभेद, ऊँच-नीच का भेदभाव व्यक्ति की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाले तत्व हैं। भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ही इसे स्पष्ट कर दिया गया है कि व्यक्ति की गरिमा को बनाए रखा जाएगा। संविधान ने जातिगत भेदभाव, अस्पृश्यता और अन्य ऐसे भेदभाव का निषेध
कर दिया है जिससे समाज में रहनेवाले विभिन्न वर्ग के लोगों में दुर्भावना नहीं पनप सके। स्पष्ट है कि भारतीय लोकतंत्र के मार्ग में अनेक बाधाओं के रहते हुए भी जनता की उन्नति, सुरक्षा और गरिमा के संवर्द्धन में यह बहुत हद तक सहायक है।
प्रश्न 4.
लोकतंत्र के विभिन्न पहलुओं पर एक निबंध लिखें।
उत्तर-
लोकतंत्र के विभिन्न पहलुओं को हम निम्नांकित शीर्षकों के अंतर्गत रख सकते हैं-
- लोकतंत्र जनता का शासन है। यह शासन का वह स्वरूप है जिसमें जनता को ही शासकों के चयन का अधिकार प्राप्त है।
- जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों को ही लोकतांत्रिक शासन-व्यवस्था के लिए निर्णय लेने का अधिकार है।
- निर्वाचन के माध्यम से जनता को शासकों को बदलने तथा अपनी पसंद व्यक्त करने का बिना किसी भेदभाव के पर्याप्त अवसर और विकल्प प्राप्त होना चाहिए।
- विकल्प के प्रयोग के बाद जिस सरकार का गठन किया जाए उसे संविधान में निश्चित किए गए मौलिक नियमों के अनुरूप कार्य करना चाहिए। साथ ही नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा का भी ध्यान रखा जाना चाहिए।
- नागरिकों को मताधिकार निर्वाचन में खड़े होने का अधिकार जैसे राजनीतिक अधिकार के अलावा कुछ आर्थिक अधिकार भी दिए जाने चाहिए। जीविका का साधन प्राप्त करने, काम पाने का अधिकार, उचित पारिश्रमिक पाने का अधिकार जैसे आर्थिक अधिकार जब तक नागरिकों को नहीं मिलेंगे तबतक राजनीतिक अधिकार निरर्थक सिद्ध होंगे।
- सत्ता में भागीदारी का अवसर सभी को बिना भेदभाव के मिलना चाहिए। सत्ता में जितना अधिक भागीदारी बढ़ेगी, लोकतंत्र उतना ही सशक्त बनेगा।
- लोकतंत्र को बहुमत की तानाशाही से दूर रखा जाना चाहिए। अल्पसंख्यकों के हितों पर ध्यान देना आज की लोकतंत्र की पुकार है।
- लोकतंत्र को सामाजिक भेदभाव से भी दूर रखा जाना चाहिए। इसको जातिवाद, संप्रदायवाद, क्षेत्रवाद, धर्मवाद जैसे भयंकर रोगों से मुक्त किया जाना चाहिए।
Bihar Board Class 10 History लोकतंत्र की चुनौतियाँ Notes
- नवीनतम सर्वेक्षण के अनुसार भारत में 71 करोड़ मतदाता है।
- दुनिया के एक चौथाई हिस्से में अभी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था नहीं है।
- भारतीय लोकतंत्र प्रतिनिधियात्मक लोकतंत्र है। इसका संचालन जन-प्रतिनिधियों द्वारा किया जाता है।
- भारतीय लोकतंत्र के तीन अंग हैं. विधायिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका।
- किसी भी लोकतंत्र की सफलता में स्वतंत्र और निष्पक्ष न्यायपालिका की भूमिका सर्वमान्य सत्य है।
- अमेरिका तथा ब्रिटेन में लोकतांत्रिक व्यवस्था की सफलता बहुत हद तक उनकी न्यायपालिका की सफलता है।
- भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है।
- ब्रिटेन, कनाडा, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे देशों म राष्ट्राध्यक्ष रबर स्टाम्प की तरह होते हैं।
- नेपाल में 240 साले पुराने राजशाही को समाप्त कर लोकतांत्रिक देश बनाया गया।
- अमेरिकी संविधान निर्माताओं में से एक अलेक्जेंडर हैमिलटन ने कहा था कि “कार्यपालिका में ऊर्जा होनी चाहिए तो विधायिका में दूरदर्शिता जबकि न्यायपालिका में सत्य के प्रति निष्ठा और संयम होना चाहिए।”
- पंद्रहवें लोकसभा चुनाव में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) द्वारा लोकसभा की 543 सीटों में से 265 सीटों पर विजय प्राप्त की। कांग्रेस पार्टी को 202 सीटें ही प्राप्त हो सकी।
- ब्रिटेन की राजनीति में महिलाओं की भागीदारी की संख्या 19.3 प्रतिशत अमेरिका में 163 प्रतिशत, इटली में 16.01 प्रतिशत, आयरलैंड में 14.2 प्रतिशत तथा फ्रांस में 13.9 प्रतिशत है।
- 15वीं लोकसभा चुनाव के बाद महिलाओं की भागीदारी 10 प्रतिशत से अधिक हो गई है।
- राजनीतिक भ्रष्टाचार और अपराध, अफसर-शाही, लूटतंत्र, आर्थिक पिछड़ापन, शिक्षा का अभाव, प्राकृतिक आपदा नारियों की दयनीय स्थिति, पंचायतों और प्रखंडों में फैला भ्रष्टाचार यें सभी बिहार में स्थापित लोकतंत्र की चुनौतियां हैं।
- सूचना का अधिकार का कानून लोगों को जानकार बनाने और लोकतंत्र के रखवाले के तौर पर सक्रिय करने का अच्छा उदाहरण है।
- लोकतांत्रिक सुधार मुख्यतः राजनीतिक दल ही करते हैं। अतः राजनीतिक सुधारों का जोर मुख्यतः लोकतांत्रिक कामकाज पर ज्यादा मजबूत बनाने पर होना चाहिए।
बिहार बोर्ड की दूसरी कक्षाओं के लिए Notes और प्रश्न उत्तर
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