Chapter 11 नौबतखाने में इबादत Bihar Board Class 10 Hindi Question Answer

Bihar Board class 10th Hindi Godhuli Bhag 2 Solutions गद्य खण्ड

Table of Contents

Godhuli Hindi Book Class 10 Solutions Bihar Board

गोधूलि भाग 2 प्रश्न उत्तर Class 10 Hindi

गद्य खण्ड पाठ Chapter 11 नौबतखाने में इबादत (व्यक्तिचित्र)

Bihar Board Class 10 Hindi नौबतखाने में इबादत Text Book Questions and Answers

बोध और अभ्यास

पाठ के साथ

नौबतखाने में इबादत प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 10 प्रश्न 1.
डुमरॉव की महत्ता किस कारण से है ?
उत्तर-
डुमराँव की महत्ता शहनाई के कारण है। प्रसिद्ध शहनाईवादक बिस्मिल्ला खाँ का जन्म डुमराँव में हुआ था। शहनाई बजाने के लिए जिस ‘रीड’ का प्रयोग होता है, जो एक विशेष प्रकार ‘ की घास ‘नरकट’ से बनाई जाती है, वह डुमराँव में सोन नदी के किनारे पाई जाती है।

Naubatkhane Me Ibadat Bihar Board Class 10 प्रश्न 2.
सुषिर वाद्य किन्हें कहते हैं। ‘शहनाई’ शब्द की व्युत्पति किस प्रकार हुई है ?
उत्तर-
सुषिर वाद्य ऐसे वाद्य हैं, जिनमें नाड़ी (नरकट या रीड) होती है, जिन्हें फूंककर बजाया जाता है। ऐसे वाद्यों में शहनाई को शाह की उपाधि दी गई है, क्योंकि यह वाद्य मुरली, शृंगी जैसे अनेक वाद्यों से अधिक मोहक है। शहनाई की ध्वनि हमारे हृदय को स्पर्श करती है।

Naubatkhane Me Ibadat Question Answer Bihar Board Class 10 प्रश्न 3.
बिस्मिला खाँ सजदे में किस चीज के लिए गिड़गिड़ाते थे ? इससे उनके व्यक्तित्व का कौन-सा पक्ष उद्घाटित होता है ?
उत्तर-
बिस्मिल्ला खाँ जब इबादत में खुदा के सामने झुकते तो सजदे में गिड़गिड़ाकर खुदा से सच्चे सुर का वरदान माँगते। इससे पता चलता है कि खाँ साहब धार्मिक, संवेदनशील एवं निरभिमानी थे। संगीत-साधना हेतु समर्पित थे। अत्यन्त विनम्र थे।

नौबतखाने में इबादत Question Answer Bihar Board Class 10 प्रश्न 4.
मुहर्रम पर्व से बिस्मिल्ला खाँ के जुड़ाव का परिचय पाठ के आधार पर दें।
उत्तर-
बिस्मिल्ला खाँ सच्चे और धार्मिक मुसलमान हैं। मुहर्रम में उनका जो रीति-रिवाज था उसे वे मानते हैं और व्यवहार में लाते हैं। बड़े कलाकार का सहज मानवीय रूप एस अब आसानी से दिख जाता है। मुहर्रम का महीना वह होता है जिसमें शिया मुसलमान हजरत इमाम हुसैन एवं उनके कुछ वंशजों के प्रति अजादारी मनाते हैं। पूरे दस दिनों का शोक आठवीं तारीख उनके लिए खास महत्त्व की है। इस दिन खाँ साहब खड़े होकर शहनाई बजाते हैं व दालमंडी में फातमान के करीब आठ किलोमीटर की दूरी तक पैदल रोते हुए, नौहा बजाते जाते हैं। इस दिन कोई राग नहीं बजता। राग-रागनियों की अदायगी का निषेध है इस दिन।

नौबतखाने में इबादत Bihar Board Class 10 प्रश्न 5.
‘संगीतमय कचौड़ी’ का आप क्या अर्थ समझते हैं ?
उत्तर-
संगीतमय कचौड़ी इस तरह क्योंकि जुलसुम जब कलकलाते घी में कचौड़ी डालती थी, उस समय छन्न से उठने वाली खाली आवाज में इन्हें सारे आरोह-अवरोह दिख जाते थे। कहने का तात्पर्य यह है कि कचौड़ी खाते वक्त भी खाँ साहब का मान संगीत के राग में ही रमा रहता था। इसीलिए उन्हें कचौड़ी भी संगीत मय लग रहा था।

Naubatkhane Me Ibadat Class 10 Hindi प्रश्न 6.
बिस्मिला खाँ जब काशी से बाहर प्रदर्शन करते थे तो क्या करते थे? इससे हमें क्या सीख मिलती है ?
उत्तर-
बिस्मिल्ला खाँ जब कभी काशी से बाहर होते तब भी काशी विश्वनाथ को नहीं भूलते। काशी से बाहर रहने पर वे उस दिशा में मुंह करके थोड़ी देर तक शहनाई अवश्य बजाते थे। वे विश्वनाथ मंदिर की दिशा में मुंह करके बैठते और विश्वनाथ के प्रति उनकी श्रद्धा एवं आस्था .. शहनाई के सुरों में अभिव्यक्त होती थी। एक मुसलमान होते हुए भी बिस्मिल्ला खाँ काशी… विश्वनाथ के प्रति अपार श्रद्धा रखते थे। इससे हमें धार्मिक दृष्टि से उदारता एवं समन्वयता की सीख मिलती है। हमें धर्म को लेकर किसी प्रकार का भेद-भाव नहीं रखना चाहिए।

naubatkhane mein ibadat question answer Bihar Board Class 10 प्रश्न 7.
‘बिस्मिल्ला खाँ का मतलब-बिस्मिल्ला खां की शहनाई।’ एक कलाकार के रूप में बिस्मिल्ला खाँ का परिचय पाठ के आधार पर दें।
उत्तर-
बिस्मिल्ला खाँ एक उत्कृष्ट कलाकार थे। शहनाई के माध्यम से उन्होंने संगीत-साधना को ही अपना जीवन मान लिये थे। शहनाईवादक के रूप में वे अद्वितीय पहचान बना लिये थे। बिस्मिल्ला खाँ का मतलब है-बिस्मिल्ला खाँ की शहनाई। शहनाई का तात्पर्य बिस्मिल्ला खाँ का हाथा हाथ से आशय इतना भर कि बिस्मिल्ला खाँ की फूंक और शहनाई की जादुई आवाज का असर हमारे सिर चढ़कर बोलने लगता है। शेर खाँ साहब की शहनाई से सात सुर ताल के साथ निकल पड़ते थे। इनका संसार सुरीला था। इनके शहनाई में परवरदिगार, गंगा मइया, उस्ताद की नसीहत उतर पड़ती थी। खाँ साहब और शहनाई एक-दूसरे के पर्याय बनकर संसार के सामने उभरे।

नौबत खाने में इबादत Bihar Board Class 10 प्रश्न 8.
आशय स्पष्ट करें
(क) फटा सुर न बखगे। लुंगिया का क्या है,
आज फटी है, तो कल सिल जाएगी।
व्याख्या-
जब एक शिष्या ने डरते-डरते बिस्मिल्ला खाँ से पूछा कि बाबा, आप फटी तहमद क्यों पहनते हैं ? आपको तो भारतरत्न मिल चुका है। अब आप ऐसा न करें। यह अच्छा नहीं लगता है जब भी कोई आपसे मिलने आता है तो आप इसी दशा में सहज, सरल भाव से मिलते हैं।

इस प्रश्न को सुनकर सहज भाव से खाँ साहब ने शिष्या को कहा-अरे पगली भारतरत्न तो शहनाईवादन पर मिला है न। इस लुंगी पर नहीं न मिला है। अगर तुमलोगों की तरह बनावट श्रृंगार में मैं लग जाता तो मेरी उमर ही बीत जाती और मैं यहाँ तक नहीं पहुँचता। तब मैं रियाज खाक करता। मैं तुम्हारी बात से सहमत हूँ अब आगे से फटी हुई तहमद नहीं पहनूँगा लेकिन इतना बता देता हूँ कि मालिक यही दुआ दे यानी भगवान यही कृपा रखें कि फटा हुआ सूर नहीं दें। सूर में लय दें और कोमलता दें। फटी लुगी तो मैं सिलवा लूंगा लेकिन फटा हुआ राग या सूर लेकर क्या करूँगा। अतः, ईश्वर रहम करे और सूर की कोमलता बचाये रखे।

(ख) काशी संस्कृति की पाठशाला है।
व्याख्या-
काशी संस्कृति की पाठशाला है शास्त्रों में इसकी महत्ता का वर्णन है। इसे आनंद कानन से जाना जाता है। काशी में कलाधर हनुमान व नृत्व विश्वनाथ हैं। काशी में बिस्मिल्ला खाँ हैं। काशी में हजारों साल का इतिहास है। यहाँ कई महाराज हैं। विद्याधारी हैं। बड़े रामदास जी हैं। मौजुद्दीन खाँ हैं। इन रसिकों से उत्कृष्ट होनेवाला अपार-जन समूह है। यह एक अलग काशी है जिसकी अलग तहजीब है, अपनी बोली और अपने विशिष्ट लोग हैं। इनके अपने उत्सव हैं। अपना गम है। अपना सेहरा-बन्ना और अपना नौहा है। यहाँ संगीत को भक्ति से, भक्ति को धर्म से किसी धर्म के कलाकार से, कजरी को चैती से विश्वनाथ को विशालक्षी से, बिस्मिल्ला खाँ को गंगा द्वार से अलग करके नहीं देखा जा सकता।

इस प्रकार काशी सांस्कृतिक महानगरी है। इसकी अपनी महत्ता है।

naubatkhane mein ibadat question answer Bihar Board Class 10 प्रश्न 9.
बिस्मिला खाँ के बचपन का वर्णन पाठ के आधार पर दें ।
उत्तर-
अमीरुद्दीन यानी उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ का जन्म डुमराँव, बिहार के एक संगीत-प्रेमी परिवार में हुआ था। पाँच-छ: वर्ष की उम्र में ही वह अपने ननिहाल काशी चले गए। डुमराँव की इतमी ही महत्ता है कि शहनाई की रीड बनाने में काम आने वाली नरकट वहाँ सोन नदी के किनारे पाई जाती हैं। बिस्मिल्ला खाँ के परदादा उस्ताद सलार हुसैन खाँ डुमराँव निवासी थे। बिस्मिल्ला खाँ उस्ताद पैगंबर बख्श खाँ और मिट्ठन के छोटे साहबजादे हैं। चार साल की उम्र में ही नाना की शहनाई को सुनते और शहनाई को ढूंढते थे। उन्हें अपने मामा का सान्निध्य भी बचपन में शहनाईवादन की कौशल विकास में लाभान्वित किया। 14 साल की उम्र में वे बालाजी के मंदिर में रियाज करने के क्रम में संगीत साधनारत हुए और आगे चलकर महान कलाकार हुए।

भाषा की बात

Naubatkhane Me Ibadat Bihar Board Class 10 प्रश्न 1.
रचना के आधार पर निम्नलिखित वाक्यों की प्रकृति बताएँ
(क) काशी संस्कृति की पाठशाला है।
(ख) शहनाई और डुमराँव एक-दूसरे के लिए उपयोगी हैं।
(ग) एक बड़े कलाकार का सहज मानवीय रूप ऐसे अवसरों पर आसानी से दिख जाता है।
(घ) उनको यकीन है, कभी खुदा यूँ ही उन पर मेहरबान होगा।
(ङ) धत्। पगली ई भारतरत्न हमको शहनईया पे मिला है, लुंगिया पे नाहीं।
उत्तर-
सरल वाक्य – (क)

संयुक्त वाक्य – (ख)
मिश्रवाक्य – (ग), (घ), (ङ)

Naubatkhane Mein Bihar Board Class 10 प्रश्न 2.
निम्नलिखित वाक्यों से विशेषण छाँटिए.
(क) इसी बालसुलभ हँसी में कई यादें बंद है।
उत्तर-
कई, बालसुलभ।

(ख) अब तो आपको भारतरत्न भी मिल चुका है, यह फटी तहमद न पहना करें।
उत्तर-
फटी, भारतरत्न।

(ग) शहनाई और काशी से बढ़कर कोई जन्नत नहीं इस धरती पर।
उत्तर-
कोई।

(घ) कैसे सुलोचना उनकी पसंदीदा हीरोइन रही थीं, बड़ी रहस्यमय मुस्कराहट के साथ गालों पर चमक आ जाती है।
उत्तर-
पसंदीदा, रहस्यमय, चमक।

गद्यांशों पर आधारित अर्थग्रहण-संबंधी प्रश्नोत्तर
  1. अमीरुद्दीन का जन्म डुमराँव, बिहार के एक संगीतप्रेमी परिवार में हुआ था। 5-6 वर्ष डुमराँव में बिताकर वह नाना के घर, ननिहाल काशी में आ गया। शहनाई और डुमराँव एक-दूसरे के लिए उपयोगी हैं। शहनाई बजाने के लिए रीड का प्रयोग होता है। रीड अंदर से पोली होती है जिसके सहारे शहनाई को फूंका जाता है। रीड, नरकट (एक प्रकार की घास) से बनाई जाती है जो डुमराँव के आसपास की नदियों के कछारों में पाई जाती है। फिर अमीरुद्दीन जो हम सबके प्रिय हैं, अपने उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ साहब हैं। इनके परदादा उस्ताद सलार हुसैन खाँ डुमराँव निवासी थे। बिस्मिल्ला खाँ उस्ताद पैगंबरख्श खाँ और मिट्ठन के छोटे साहबजादे हैं।

Naubatkhane Mein Ibadat Class 10 Question Answer Bihar Board प्रश्न
(क) प्रस्तुत गद्यांश किस पाठ से लिया गया है और इसके लेखक कौन हैं ?
(ख) बिस्मिल्ला खाँ का जन्म कहाँ हुआ था। उनके बचपन का क्या नाम था ?
(ग) रीड किससे बनता है ? इसका प्रयोग कहाँ होता है ?
(घ) शहनाई और डुमराँव एक-दूसरे के लिए उपयोगी क्यों हैं ?
उत्तर-
(क) प्रस्तुत गद्यांश नौबतखाने में इबादत शीर्षक जीवन-वृत्त से लिया गया है। इसके लेखक यतीन्द्र मिश्र हैं।

(ख) बिस्मिल्ला खाँ का जन्म डुमराँव में हुआ था। उनके बचपन का नाम अमीरुद्दीन था।
(ग) रीड, नरकट (एक प्रकार की घास) से बनता है। इसका प्रयोग शहनाई में होता है। इसी के सहारे शहनाई को फूंका जाता है।
(घ) शहनाईवादक भारतरत्न सम्मानित बिस्मिल्ला खाँ का जन्म डुमराँव में हुआ था। शहनाई बजाने के लिए रीड की आवश्यकता होती है। रीड नरकट से बनता है जो डुमराँव के आसपास की नदियों के कछारों में पाया जाता है।

  1. शहनाई की इसी मंगलध्वनि के नायक बिस्मिल्ला खाँ साहब अस्सी बरस से सुर माँग रहे हैं। सच्चे सुर की नेमत। अस्सी बरस की पाँचों वक्त वाली नमाज इसी सुर को पाने की प्रार्थना में खर्च हो जाती है। लाखों सजदे, इसी एक सच्चे सुर की इबादत में खुदा के आगे झुकते हैं। वे नमाज के बाद सजदे में गिड़गिड़ाते हैं -‘मेरे मालिक एक सुर बख्श दे। सुर में वह तासीर पैदा कर दे कि आँखों से सच्चे मोती की तरह अनगढ़ आँसू निकल आएँ। उनको यकीन है, कभी खुदा यूँ ही उन पर मेहरबान होगा और अपनी झोली से सुर का फल निकालकर उनकी ओर उछालेगा, फिर कहेगा, ले जा अमीरुद्दीन इसको खा ले और कर ले अपनी मुराद पूरी।’

Naubatkhane Ki Ibadat Bihar Board Class 10 प्रश्न
(क) शहनाई किसका सम्पूरक है?
(ख) बिस्मिल्ला खाँ नमाज अदा करते समय अल्लाह से क्या इबादत करते हैं ?
(ग) बिस्मिल्ला खाँ किस बात को लेकर आशावान हैं ?
(घ) बिस्मिल्ला खाँ का सिर किसलिए झुकता है ?
उत्तर-
(क) शहनाई मंगलध्वनि का सम्पूरक है।

(ख) अस्सी वर्ष की अवस्था में भी बिस्मिल्ला खाँ ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि हे मेरे मालिक एक सुर बख्श दें। सुर में वह तासीर पैदा कर दे कि आँखों से सच्चे मोती की तरह अनगढ़ आँसू निकल आएँ।
(ग) ईश्वर के प्रति अपने समर्पण को लेकर बिस्मिल्ला खाँ आशावान है कि एक दिन समय आएगा जब उनकी कृपा से स्वर में वह तासीर पैदा होगी जिससे हमारी जीवन धन्य हो जायेगा। ईश्वर अपनी झोली से सुर का फल निकालकर मेरी तरफ उछालते हुए कहेगा ले इसे खाकर अपनी मुराद पूरी कर ले।
(घ) बिस्मिल्ला खाँ का सिर सुर को इबादत में झकता है।

3. काशी संस्कृति की पाठशाला है। शास्त्रों में आनंदकानन के नाम से प्रतिष्ठिता काशी में कलाधर हनुमान व नृत्य-विश्वनाथ है। काशी में बिस्मिल्ला खाँ हैं। काशी में हजारों सालों का इतिहास है जिसमें पंडित कंठे महाराज हैं, विद्याधरी हैं, बड़े रामदासजी हैं, मौजुद्दीन खाँ हैं व इन रसिकों से उपकृत होनेवाला अपार जन-समूह है। यह एक अलग काशी है जिसकी अलग तहजीब है, अपनी बोली और अपने विशिष्ट लोग हैं। इनके अपने उत्सव हैं, अपना गम। अपना सेहरा-बन्ना और अपना नौहा। आप यहाँ संगीत को भक्ति से, भक्ति को किसी भी धर्म के कलाकार से, कजरी को चैती से, विश्वनाथ को विशालाक्षी से, बिस्मिल्ला खाँ को गंगाद्वार से अलग करके नहीं देख सकते।

Naubatkhane Mein Ibadat Hai Answer Bihar Board Class 10 प्रश्न
(क) काशी किसकी पाठशाला है ?
(ख) काशी से बिस्मिल्ला खाँ का कैसा संबंध है ?
(ग) काशी में किन-किन लोगों का इतिहास है?
(घ) लेखक ने काशी को एक अलग नगरी क्यों माना है ?
उत्तर-
(क) काशी संस्कृति की पाठशाला है।

(ख) काशी से बिस्मिल्ला खाँ का गहरा संबंध है। काशी ही इनकी इबादत-भूमि है। बालाजी का मंदिर, संकटमोचन मंदिर, बाबा विश्वनाथ मंदिर आदि कई ऐसे स्थान हैं जो इनकी कर्मस्थली और ज्ञानस्थली है। जिस तरह संगीत को भक्ति से, भक्ति को किसी भी धर्म के कलाकार से, कजरी को चैती से, विश्वनाथ को विशालाक्षी से अलग नहीं कर सकते हैं ठीक उसी तरह बिस्मिल्ला खाँ को गंगाद्वार से अलग नहीं कर सकते हैं।.
(ग) काशी में पंडित कंठे महाराज, विधाधरी, रामदास, मौजुद्दीन आदि जैसे महापुरुषों का इतिहास है।
(घ) काशी संस्कृति की पाठशाला है। शास्त्रों में यह आनंदकानन के नाम से प्रतिष्ठित है। इसकी अलग तहजीब है, अपनी बोली और अपने विशिष्ट लोग हैं। यहाँ संगीत, भक्ति, धर्म आदि को अलग रूप में नहीं देख सकते हैं।

  1. काशी में संगीत आयोजन की एक प्राचीन एवं अद्भुत परंपरा है। यह आयोजन पिछले कई बरसों से संकटमोचन मंदिर में होता आया है। यह मंदिर शहर के दक्षिण में लंका पर स्थित है व हनुमान-जयंती के अवसर पर यहाँ पाँच दिनों तक शास्त्रीय एवं उपशास्त्रीय गायनवादन की उत्कृष्ट सभा होती है। इसमें बिस्मिल्ला खाँ अवश्य रहते हैं। अपने मजहब के प्रति अत्यधिक समर्पित उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ की श्रद्धा काशी विश्वनाथजी के प्रति भी अपार है।

प्रश्न-
(क) पाठ और लेखक का नाम लिखिए।

(ख) काशी में संगीत आयोजन की परंपरा क्या है ?
(ग) हनुमान-जयंती के अवसर पर आयोजित संगीत सभा का परिचय दीजिए।
(घ) बिस्मिल्ला खाँ की काशी विश्वनाथ के प्रति भावनाएँ कैसी थीं?
(ङ) काशी में संकटमोचन मंदिर कहाँ स्थित है और उसका क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
(क) पाठ नौबतखाने में इबादत, लेखक-यतींद्र मिश्रा

(ख) काशी में संगीत आयोजन की बहुत प्राचीन और विचित्र परंपरा है। यह आयोजन काशी में विगत कई वर्षों से हो रहा है। यह संकटमोचन मंदिर में होता है। इस आयोजन में शास्त्रीय । एवं उपशास्त्रीय गायन-वादन होता है।
(ग) हनुमान जयंती के अवसर पर काशी के संकटमोचन मंदिर में पाँच दिनों तक शास्त्रीय और उपशास्त्रीय संगीत की श्रेष्ठ सभा का आयोजन होता है। इस सभा में बिस्मिल्ला खाँ का शहनाईवादन अवश्य ही होता है।.
(घ) बिस्मिल्ला खाँ अपने धर्म के प्रति पूर्णरूप से समर्पित हैं। वे पाँचों समय नमाज पढ़ते हैं। इसके साथ ही वे बालाजी मंदिर और काशी विश्वनाथ मंदिर में भी शहनाई बजाते हैं। उनकी काशी विश्वनाथजी के प्रति अपार श्रद्धा है।
(ङ) काशी का संकटमोचन मंदिर शहर के दक्षिण में लंका पर स्थित है। यहाँ हनुमान जयंती अवसर पर पाँच दिनों का संगीत सम्मेलन होता है। इस अवसर पर बिस्मिल्ला खाँ का शहनाई वादन होता है।

  1. अक्सर कहते हैं क्या करें मियाँ, ई काशी छोड़कर कहाँ जाएँ, गंगा मइया यहाँ, बाबा विश्वनाथ यहाँ, बालाजी का मंदिर यहाँ, यहाँ हमारे खानदान की कई पुश्तों ने शहनाई बजाई है, हमारे नाना तो वहीं बालाजी मंदिर में बड़े प्रतिष्ठा शहनाईवादक रह चुके हैं। अब हम क्या करें, मरते दम तक न वह शहनाई छूटेगी न काशी। जिस जमीन ने हमें तालीम दी, जहाँ से अदब पाई, तो कहाँ और मिलेगी? शहनाई और काशी से बढ़ कर कोई जन्नत नहीं इस धरती पर हमारे लिए।’

प्रश्न
(क) पाठ और लेखक का नाम लिखिए।

(ख) बिस्मिल्ला खाँ काशी छोड़कर क्यों नहीं जाना चाहते थे?
(ग) बिस्मिल्ला खाँ के परिवार में और कौन-कौन शहनाई बजाते थे ?
(घ) बिस्मिल्ला खाँ के लिए शहनाई और काशी क्या हैं ?
उत्तर-
(क) पाठ-नौबतखानों में इबादत।

लेखक यतींद्र मिश्रा
(ख) बिस्मिल्ला खाँ काशी छोड़कर इसलिए नहीं जाना चाहते थे क्योंकि यहाँ गंगा है, बाबा विश्वनाथ हैं, बालाजी का मंदिर है और उनके परिवार की कई पीढ़ियों ने यहाँ शहनाई बजाई है। उन्हें इन सबसे. बहुत लगाव है।
(ग) बिस्मिल्ला खाँ के नाना काशी के बालाजी के मंदिर में शहनाई बजाते थे। उनके मामा सादिम हुसैन और अलीबख्श देश के जाने-माने शहनाई वादक थे। इनके दादा उस्ताद सलार हुसैन खाँ और पिता उस्ताद पैगंबर बख्श खो भी प्रसिद्ध शहनाईवादक थे (घ) बिस्मिल्ला खाँ मरते दम तक काशी में रहना और शहनाई बजाना नहीं छोड़ना चाहते, क्योंकि इसी काशी नगरी में उन्हें शहनाई बजाने की शिक्षा मिली और यहां से सब कुछ मिला।

6. काशी आज भी संगत के स्वर पर जगती और उसी की थापों पर सोती है। काशी में मरण भी मंगल माना गया है। काशी आनंदकानन है। सबसे बड़ी बात है कि काशी के पास उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ जैसा लय और सुर- की तमीज सिखानेवाला नायाब हीरा रहा है जो हमेशा से दो कौमों को एक होने व आपस में भाईचारे के साथ रहने की प्रेरणा देता रहा।

प्रश्न
(क) पाठ और लेखक का नाम लिखिए।

(ख) आज की काशी कैसी है ?
(ग) काशी में मरण मंगलमय क्यों माना गया है ?
(घ) काशी के पास कौन-सा नायाब हीरा रहा है ?
(ङ) काशी आनंदकानन कैसे है ?
उत्तर-
(क)18-नौबतखाने में इबादत- लेखक-यतींद्र मिश्रा

(ख) आज की काशी भी संगीत के स्वरों से जागती है और संगीत की थपकियाँ उसे सुलाती हैं। बिस्मिल्ला खाँ के शहनाईवादन की प्रभाती, काशी को जगाती है।
(ग) काशी में मरना इसलिए मंगलमय माना गया है, क्योंकि यह शिव की नगरी है। यहाँ मरने से मनुष्य को शिवलोक प्राप्त हो जाता है और वह जन्म-मरण के बंधनों से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त कर लेता है।
(घ) काशी के पास बिस्मिल्ला खाँ जैसा लय और सुर का नायाब हीरा रहा है जो अपने सुरों से काशी में प्रेम रस बरसाता रहा है। इसने सदा काशी-वासियों को मिलजुल कर रहने की प्रेरणा दी है।
(ङ) काशी को आनंदकानन इसलिए कहते हैं, क्योंकि यहाँ विश्वनाथ विराजमान हैं। उनकी  कृपा से यहाँ सदा आनंद-मंगल की वर्षा होती रहती है। विभिन्न संगीत सभाओं के आयोजनों से सदा उत्सवों का वातावरण बना रहता है। इसलिए यहाँ आनंद ही आनंद छाया रहता है।

  1. इस दिन खाँ साहब बड़े होकर शहनाई बजाते हैं वे दालमंडी में फातमान के करीब आठ किलोमीटर की दूरी पर पैदल रोते हुए, नौहा बजाते जाते हैं। इस दिन कोई राग नहीं बजता। राग-रागिनियों की अदायगी का निषेध है इस दिन। उनकी आँखें इमाम हुसैन और उनके परिवार के लोगों की शहादत में नम रहती हैं। अजादारी होती है। हजारों आँखें नम हजार वर्ष की परंपरा पुनर्जीवित। मुहर्रम सम्पन्न होता है। एक बड़े कलाकार का सहज मानवीय रूप ऐसे अवसर पर आसानी से दिख जाता है।

प्रश्न
(क) पाठ तथा लेखक का नाम बताइए।

(ख) प्रस्तुत अवतरण में किस दिन की बात की जा रही है।
(ग) अवतरण में उल्लेख किए गए दिन को खां साहब क्या करते हैं ? और क्यों ?
(घ) इस विशेष दिन कोई राग क्यों नहीं बजाया जाता?
(ङ) अवतरण के आधार पर खां साहब के चरित्र की कोई दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर-
(क) पाठ का नाम- नौबतखाने में इबादत।

लेखक का नाम- यतीन्द्र मिश्रा
(ख) प्रस्तुत अवतरण में मुहर्रम की आठवीं तारीख की बात की जा रही है।
(ग) इस दिन खाँ साहब खड़े होकर शहनाई बजाते हैं व दालमंडी में फातमान के करीब आठ किलोमीटर की दूरी तक नौहा बजाते हुए जाते हैं, क्योंकि वे शोक मना रहे होते हैं।
(घ) मुहर्रम की आठवीं तारीख को कोई राम नहीं बजाया जाता। इस दिन इमाम हुसैन और उनके परिवार की शहादत के शोक में राग-रागिनियों की अदायगी का निषेध है।
(ङ) खाँ साहब संवेदनशील, धार्मिक तथा एक बड़े कलाकार थे।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

सही विकल्प चुनें-

प्रश्न 1.
‘नौबतखाने में इबादत पाठ के लेखक कौन है ?

(क) विनोद कुमार शुक्ल
(ख) यतीन्द्र मिश्र
(ग) अशोक वाजपेयी
(घ) अमर कांत
उत्तर-
(ख) यतीन्द्र मिश्र

प्रश्न 2.
बिस्मिल्ला खाँ का असली नाम क्या था?

(क) शम्सुद्दीन
(ख) सादिक हुसैन
(ग) पीरबख्श
(घ) अमीरुद्दीन
उत्तर-
(घ) अमीरुद्दीन

प्रश्न 3.
बिस्मिल्ला खाँ का जन्म कहाँ हुआ था?

(क) काशी में
(ख) दिल्ली में
(ग) डुमराँव में
(घ) पटना में
उत्तर-
(ग) डुमराँव में

प्रश्न 4.
बिस्मिल्ला खाँ रियाज के लिए कहाँ जाते थे?

(क) बालाजी मंदिर
(ख) संकटमोचन
(ग) विश्वनाथ मंदिर
(घ) दादा के पास
उत्तर-
(क) बालाजी मंदिर

प्रश्न 5.
‘नरकट’ का प्रयोग किस वाद्य-यंत्र में होता है?

(क) शहनाई
(ख) मृदंग
(ग) ढोल
(घ) बिगुल
उत्तर-
(क) शहनाई

प्रश्न 6.
भारत सरकार ने बिस्मिल्ला खाँ को किस सम्मान से अलंकृत किया?

(क) बिहार रत्न
(ख) भारत रत्न
(ग) वाद्य रत्न
(घ) शहनाई रत्न
उत्तर-
(ख) भारत रत्न

रिक्त स्थानों की पूर्ति

प्रश्न 1.
……….. और डुमराँव एक-दूसरे के पूरक हैं।

उत्तर-
शहनाई

प्रश्न 2.
शहनाई बजाने के लिए ……… का प्रयोग होता है।

उत्तर-
रीड

प्रश्न 3.
……….. संस्कृति की पाठशाला है।

उत्तर-
काशी

प्रश्न 4.
……… वर्ष की उम्र में बिस्मिल्ला खाँ संसार से विदा हो गए।

उत्तर-
नब्बे

प्रश्न 5.
बिस्मिल्ला खाँ उस्ताद …….. और मिट्ठन के छोटे साहबजादे थे।

उत्तर-
पैगंबर बखश खाँ

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
बिस्मिल्ला खाँ का जन्म कब और कहाँ हुआ था?

उत्तर-
बिस्मिल्ला खाँ का जन्म 1916 ई० में डुमराँव में हुआ था।

प्रश्न 2.
बिस्मिल्ला खाँ को संगीत के प्रति रुचि कैसे हुई ?

उत्तर-
बिस्मिल्ला खाँ को संगीत के प्रति रुचि रसूलनबाई और बतूलनबाई के टप्पे, ठुमरी और दादरा को सुनकर हुई।

प्रश्न 3.
शहनाई की शिक्षा बिस्मिल्ला खाँ को कहाँ मिली?

उत्तर-
शहनाई की शिक्षा बिस्मिल्ला खाँ को अपने ननिहाल काशी में अपने मामा सादिक और अलीबख्श से मिली।

प्रश्न 4.
बिस्मिल्ला खां बचपन में किनकी फिल्में देखते थे। था, विस्मिल्ला खाँ बचपन में किस की फिल्मों के दीवाने थे?

उत्तर-
बिस्मिल्ला खाँ बचपन में गीताबाली और सुलोचना की फिल्मों के दीवाने थे।

प्रश्न 5.
अपने मजहब के अलावा बिस्मिल्ला खाँ को किसमें अत्यधिक प्रद्धा थी ?

उत्तर-
अपने मजहब के अलावा बिस्मिल्ला खाँ को काशी, विश्वनाथ और बालाजी में अगाध श्रद्धा थी।

प्रश्न 6.
बिस्मिल्ला खाँ किसको जन्नत मानते थे ?

उत्तर-
बिस्मिल्ला खाँ शहनाई और काशी को जन्नत मानते थे।

प्रश्न 7.
बिस्मिल्ला खाँ किसके पर्याय थे?

उत्तर-
बिस्मिल्ला खाँ शहनाई के पर्याय थे और शहनाई उनका।

प्रश्न 8.
बिस्मिल्ला खाँ को जिन्दगी के आखिरी पड़ाव पर किसका अफसोस रहा?

उत्तर-
बिस्मिल्ला.खाँ को जिन्दगी के आखिरी पड़ाव पर संगतियों के लिए गायकों के मन में आदर न होने, चैता कजरी के गायब होने और मलाई, शुद्ध घी की कचौड़ी न मिलने का अफ़सोस रहा।

नौबतखाने में इबादत लेखक परिचय

यतींद्र मिश्र का जन्म सन् 1977 में अयोध्या, उत्तरप्रदेश में हुआ । उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ से हिंदी भाषा और साहित्य में एम० ए० किया । वे साहित्य, संगीत, सिनेमा, नृत्य और चित्रकला के जिज्ञासु अध्येता हैं । वे रचनाकार के रूप में मूलतः एक कवि हैं । उनके अबतक तीन काव्य-संग्रह : ‘यदा-कदा’, ‘अयोध्या तथा अन्य कविताएँ’, और ‘ड्योढ़ी पर आलाप’ प्रकाशित हो चुके हैं । कलाओं में उनकी गहरी अभिरुचि है । इसका ही परिणाम है कि उन्होंने प्रख्यात शास्त्रीय गायिका गिरिजा देवी के जीवन और संगीत साधना पर एक पुस्तक ‘गिरिजा’ लिखी । भारतीय नृत्यकलाओं पर विमर्श की पुस्तक है ‘देवप्रिया’, जिसमें भरतनाट्यम और ओडिसी की प्रख्यात नृत्यांगना सोनल मान सिंह से यतींद्र मिश्र का संवाद संकलित है। यतींद्र मिश्र ने स्पिक मैके के लिए ‘विरासत 2001’ के कार्यक्रम के लिए. रूपंकर कलाओं पर केंद्रित पत्रिका ‘थाती’ का संपादन किया है। संप्रति, वे अर्द्धवार्षिक पत्रिका ‘सहित’ का संपादन कर रहे हैं । वे साहित्य और कलाओं के संवर्धन एवं अनुशीलन के लिए एक सांस्कृतिक न्यास ‘विमला देवी फाउंडेशन’ का संचालन 1999 ई० से कर रहे हैं।

यतींद्र मिश्र ने रीतिकाल के अंतिम प्रतिनिधि कवि द्विजदेव की ग्रंथावली का सह-संपादन भी किया है। उन्होंने हिंदी के प्रसिद्ध कवि कुँवरनारायण पर केंद्रित दो पुस्तकों के अलावा हिंदी सिनेमा के जाने-माने गीतकार गुलजार की कविताओं का संपादन ‘यार जुलाहे’ नाम से किया है। यतींद्र मिश्र को अबतक भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार, भारतीय भाषा परिषद् युवा पुरस्कार, राजीव गाँधी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार, रजा पुरस्कार, हेमंत स्मृति कविता पुरस्कार, ऋतुराज सम्मान आदि कई पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं। उन्हें केंद्रीय संगीत नाटक अकादमी, नयी दिल्ली और सराय, नई दिल्ली की फेलोशिप भी मिली है।

‘नौबतखाने में इबादत’ प्रसिद्ध शहनाईवादक भारतरत्न उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ पर रोचक शैली में लिखा गया व्यक्तिचित्र है । इस पाठ में बिस्मिल्ला खाँ का जीवन – उनकी रुचियाँ, अंतर्मन की बुनावट, संगीत की साधना आदि गहरे जीवनानुराग और संवेदना के साथ प्रकट हुए हैं ।

नौबतखाने में इबादत Summary in Hindi
पाठ का सारांश

सन् 1916 से 1922 के आसपास की काशी। पंचगंगा घाट स्थित बालाजी विश्वनाथ मंदिर की ड्योढ़ी। ड्योढ़ी का नौबतखाना और नौबतखाने से निकलनेवाली मंगलध्वनि।।

अमीरूद्दीन अभी सिर्फ छह साल का है और बड़ा भाई शम्सुद्दीन नौ साल का। अमीरूद्दीन को पता नहीं है कि राग किस चिड़िया को कहते हैं। और ये लोग हैं मामूंजान वगैरह जो बात-बात पर भीमपलासी और मुलतानी कहते रहते हैं। क्या बाजिब मतलब हो सकता है इन शब्दों का इस” लिहाज से अभी उम्र नहीं है अमीरूद्दीन की; जान सके इन भारी शब्दों का बजन कितना होगा।

अमीरूद्दीन का जन्म डुमराँव, बिहार के एक संगीत प्रेमी परिवार में हुआ है। 5-6 वर्ष डुमराँव में बिताकर वह नाना के घर, ननिहाल काशी में आ गया है। शहनाई और डुमराँव एक-दूसरे के लिए उपयोगी हैं। उनकी अबोध उम्र में अनुभव की स्लेट पर संगीत प्रेरणा की वर्णमाला रसूलनवाई और बजूलनवाई ने उकेरी है। इसे संगीत शास्त्रांतर्गत ‘सुषिर-वाद्यों’ में गिना जाता है। अरब देश में फूंककर बजाए जाने वाले वाद्य जिसमें नाड़ी नरकट या रीड होती है को ‘नय’ बोलते हैं। शहनाई को ‘शहनाई अर्थात् ‘सुषिर वाद्यों में शाह की उपाधि दी गई है।

शहनाई की इसी मंगलध्वनि के नायक बिस्मिल्ला खाँ साहब अस्सी बरस से सुर माँग रहे हैं। सच्चे सुर की नेमत। अस्सी बरस की पाँचों वक्त वाली नमाज इसी सुर को पाने की प्रार्थना में खर्च हो जाती है। लाखों सजदे इसी एक सच्चे सुर की इबादत में खुदा के आगे झुकते हैं। बिस्मिला खाँ और शहनाई के साथ जिस मुस्लिम पर्व का नाम जुड़ा है, वह मुहर्रम है। आठवीं तारीख उनके लिए खास महत्त्व की है। इस दिन खाँ साहब खड़े होकर शहनाई बजाते हैं व दालमंडी में फातमान के करीब आठ किलोमीटर की दूरी तक पैदल रोते हुए, नौटा बजाते जाते हैं।

बचपन की दिनों की याद में वे पक्का महाल की कुलसुम हलवाइन की कचौड़ी वाली दुकान व गीताबाली और सुलोचना को ज्यादा याद करते हैं। सुलोचना उनकी पसंदीदा हीरोइन रही थीं।

अपने मजहब के प्रति अत्यधिक समर्पित उस्ताद बिस्मिला खाँ की श्रद्धा काशी विश्वनाथ जी के प्रति भी अपार है। वे जब भी काशी से बाहर रहते हैं तब विश्वनाथ व बालाजी मंदिर की दिशा की ओर मुँह करके बैठते हैं, थोड़ी देर ही सही, मगर उसी ओर शहनाई का प्याला घुमा दिया जाता है और भीतर की आस्था रीड के माध्यम से बजती है।

काशी संस्कृति की पाठशाला है। शास्त्रों में आनंदकानन के नाम से प्रतिष्ठित है। काशी में कलाधर हनुमान व नृत्य-विश्वनाथ हैं। काशी में विस्मिल्ला खाँ है। काशी में हजारों सालों का इतिहास है जिसमें पंडित कंठे महाराज हैं, बड़े रामदास जी है, मौजुद्दीन खाँ हैं व इन रसिकों से उपकृत होने वाला अपार जन-समूह है।

आपकी। अब तो आपको भारतरत्न भी मिल चुका है, यह फटी तहमद न पहना करें। अच्छा नहीं लगता, जब भी कोई आता है आप इसी फटी तहमद में सबसे मिलते हैं।” खाँ साहब मुस्काराए। लाड़ से भरकर बोले “धत। पगली ई भारतरत्न हमको शहनईया’ पे मिला है, लगिया पे नाहीं।

नब्बे वर्ष की भरी-पूरी आयु में 21 अगस्त 2006 को संगीत रसिकों की हार्दिक सभा से हमेशा के लिए विदा हुए खाँ साहब।

शब्दार्थ

ड्योढ़ी : दहलीज
नौबतखाना : प्रवेश द्वार के ऊपर मंगल ध्वनि बजाने का स्थान
रियाज : अभ्यास
मार्फत : द्वारा
शृंगी : सींग का बना वाद्ययंत्र
मुरछंग : एक प्रकार का लोक वाद्ययंत्र
नेमत : ईश्वर की देन, वरदान, कृपा
सज़दा : माथा टेकना
इबादत : उपासना
तासीर : गुण, प्रभाव, असर
श्रुति : शब्द-ध्वनि
ऊहापोह : उलझन, अनिश्चितता
तिलिस्म : जादू
गमक : खुशबू, सुगंध
अजादारी : मातम करना, दुख मनाना
बदस्तूर : कायदे से, तरीके से
नैसर्गिक : स्वाभाविक, प्राकृतिक
दाद : शाबाशी, प्रशंसा, वाहवाही
तालीम : शिक्षा
अदब : कायदा, साहित्य
अलहमदुलिल्लाह : तमाम तारीफ ईश्वर के लिए
जिजीविषा : जीने की इच्छा
शिरकत : शामिल होना
वाजिब : सही, उपयुक्त
मतलब : अर्थ
लिहाज : शिष्टाचार, छोटे-बड़े के प्रति उचित भाव
गोया : जैसे कि, मानो कि
रोजनामचा : दैनंदिन, दिनचर्या
विग्रह : मूर्ति
कछार : नदी का किनारा
उकेरी : चित्रित करना, उभारना
संपूरक : पूरा करने वाला, पूर्ण करने वाला
मुराद : आकांक्षा, अभिलाषा
दुश्चिंता : बुरी चिंता
बरतना : बर्ताव करना, व्यवहार करना
सलीका : शिष्ट तरीका
गमजदा : गम में डूबा
सुकून : शांति, आराम
जुनून : उन्माद, सनक
खारिज : अस्वीकार करना
आरोह : चढ़ाव
अवरोह : उतार
आनंदकानन : ऐसा बागीचा जिसमें आठों पहर आनन्द रहे
उपकृत : उपकार करना, कृतार्थ करना
तहजीब : संस्कृति, सभ्यता
सेहरा-बन्ना : सेहरा बांधना, श्रेय देना
नौहा : शहनाई
सरगम : संगीत के सात स्वर (सा रे ग म प ध नी)
नसीहत : शिक्षा, उपदेश, सीख
तहमद : लुंगी, अधोवस्त्र
शिद्दत : असरदार तरीके से, जोर के साथ
सामाजिक : सुसंस्कृत
नायाब. : अद्भुत, अनुपम
जिजीविषा : जीने की लालसा

गद्य खण्ड Chapter 12: शिक्षा और संस्कृति (शिक्षाशास्त्र) प्रश्न-उत्तर

बिहार बोर्ड class 10 हिंदी का प्रश्न उत्तर

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