Bihar Board class 10th Hindi Godhuli Bhag 2 Solutions गद्य खण्ड

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Godhuli Hindi Book Class 10 Solutions Bihar Board

गोधूलि भाग 2 प्रश्न उत्तर Class 10 Hindi

गद्य खण्ड पाठ Chapter 9 आविन्यों (ललित रचना)

Bihar Board Class 10 Hindi Chapter 9 आविन्यों (ललित रचना) Questions and Answers

वोध और अभ्यास

पाठ के साथ

avinyo class 10 question answer प्रश्न 1.
आविन्यों क्या है और वह कहाँ अवस्थित है?

उत्तर-
आविन्यों एक स्थान का नाम है। दक्षिण फ्रांस में रोन नदी के किनारे बसा एक पुराना शहर है। ।

avinyo class 10 question answer Bihar Board Hindi प्रश्न 2.
बरस आविन्यों में कब और कैसा समारोह हुआ करता है ?

उत्तर-
गर्मियों में फ्रांस और यूरोप का एक अत्यन्त प्रसिद्ध और लोकप्रिय रंग-समारोह हर बरस होता है।

BSEB Hindi avinyo class 10 question answer प्रश्न 3.
लेखक आविन्यों किस सिलसिले में गए थे ? वहाँ उन्होंने क्या देखा-सुना?

उत्तर-
पीटर ब्रुके का विवादास्पद ‘महाभारत’ पहले पहल प्रस्तुत किया जाने वाला था। उसी के निमन्त्रण पर लेखक आविन्यों गये थे। वहाँ उन्होंने देखा कि समारोह के दौरान वहाँ के अनेक चर्च और पुराने स्थान रंगस्थलियों में बदल जाते हैं।

bihar board class 10th hindi प्रश्न 4.
ला शबूज क्या है और वह कहाँ अवस्थित है ? आजकल उसका क्या उपयोग होता है?

उत्तर-
दरअसल फ्रेंच शासकों ने पोप की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए किला बनवाया था। यह आविन्यों में है। उसमें एक कलाकेन्द्र की स्थापना की गई है। यह केन्द्र इन दिनों रंगमंच और लेखन से जुड़ा हुआ है।

Bihar Board avinyo class 10 question answer प्रश्न 5.
ला शत्रूज का अंतरंग विवरण अपने शब्दों में प्रस्तुत करते हुए यह स्पष्ट कीजिए कि लेखक ने उसके स्थापत्य को ‘मौन का स्थापत्य’ क्यों कहा है ?

उत्तर-
ला शत्रूज फ्रेंच शासकों द्वारा निर्मित किला में काथूसियन सम्प्रदाय का एक ईसाई मठ है। उसके भीतरी भाग में ईसाई सन्तों के चैम्बर्स बने हुए हैं। दो-दो कमरों के चैम्बर सुसज्जित हैं। चौदहवीं सदी के फर्नीचर लगे हैं। चैम्बरों के मुख्य द्वार कब्रगाह के चारों ओर बने गलियारों में खुलते हैं। कार्थसियन सम्प्रदाय मौन में विश्वास करता है। उसके द्वारा ला शत्रूज में सारा स्थापत्य मौन का ही स्थापत्य है। अतः लेखक ने इसे ‘मौन का स्थापत्य’ की संज्ञा दी है।

avinyo question answer प्रश्न 6.
लेखक आविन्यों क्या साथ लेकर गए थे और वहाँ कितने दिनों तक रहे ? लेखक की उपलब्धि क्या रही?

उत्तर-
लेखक आविन्यों अपने साथ हिन्दी का टाइपराइटर, तीन चार पुस्तकें और कुछ संगीत के टेप्स लेकर गए थे और वहाँ वे उन्नीस दिन 24 अक्टूबर से 10 नवम्बर, 1994 की दोपहर तक रहे। कुल उन्नीस दिनों में वहाँ रहकर उन्होंने पैंतीस कविताएँ और सत्ताईस गद्य की रचना की।

class 10th avinyo question answer प्रश्न 7.
‘प्रतीक्षा करते हैं पत्थर’ शीर्षक कविता में कवि क्यों और कैसे पत्थर का मानवीकरण करता है ?

उत्तर-
कवि महोदय का एकान्त वास मौन में विश्वास रखने वाले सम्प्रदाय के स्थान में था। उनके ऊपर भी मौन साधना का प्रभाव हुआ। वे एकाएक मौन रूप से प्रतीक्षा कर रहे पत्थर को ही मानवीकरण कर डाला।

प्रश्न 8.
आविन्यों के प्रति लेखक कैसे अपना सम्मान प्रदर्शित करते हैं ?

उत्तर-
वे सुन्दर, निविड़, सघन, सुनसान दिन और रातें थीं, भय, पवित्रता और आसक्ति से भरी हुई। यह पुस्तक उन सबकी स्मृति का दस्तावेज है। आविन्यों को उसी के मठ में रहकर लिखी गई, कवि प्रजाति भी। जो पाया उसके लिए गहरी कृतज्ञता मन में है।

Avinyo question answer in Hindi प्रश्न 9.
मनुष्य जीवन से पत्थर की क्या समानता और विषमता है ?

उत्तर-
मानवीय जीवन में सुख और दुःख के समय व्यतीत होते हैं। जीवन परिवर्तनशील पथ पर अग्रसर होता है। मानव उतार-चढ़ाव देखता है। पत्थर भी मानव की तरह परिवर्तनशील समय का सामना करता है। पत्थर भी शीत और ताप दोनों का सान्निध्य पाता है। मानव अपनी प्राचीन गाथा को गाता है। पत्थर भी प्राचीनता को अपने में सहेजे रखता है। मानव अपनी भावनाओं को प्रकट करता है। अपने अनुभव को व्यक्त करता है। परन्तु पत्थर मूक रहता है। हर स्थिति से गुजरते हुए अभिव्यक्त नहीं करता है। मनुष्य की कविता में शब्द होते हैं लेकिन पत्थर निःशब्द कविता रचता है। मनुष्य झुककर नमन करता है लेकिन पत्थर बिना माथा झुकाए प्रार्थना करता है। इस प्रकार मनुष्य जीवन से पत्थरों की समानता और विषमता दोनों है।

प्रश्न 10.
इस कविता से आप क्या सीखते हैं।

उत्तर-
इस कविता से हमलोग सीखते हैं कि अपने लक्ष्य के प्रति मौन रहकर कर्म करना। अनेक प्रकार के झंझावातों को सहन करते हुए लक्ष्य को प्राप्त करना।

प्रश्न 11.
नदी के तट पर बैठे हुए लेखक को क्या अनुभव होता है ?

उत्तर-
नदी के तट पर बैठे हुए लेखक को लगता है कि जल स्थिर है और तट ही बह रहा है। उन्हें अनुभव हो रहा है कि वे नदी के साथ बह रहे हैं। नदी के पास रहने से लगता है कि स्वयं नदी हो गये हैं। स्वयं में नदी की झलक देखते हैं।

प्रश्न 12.
नदी तट पर लेखक को किसकी याद आती है और क्यों ?

उत्तर-
नदी तट पर लेखक को विनोद कुमार शुक्ल की एक कविता याद आती है। क्योंकि लेखक नदी तट पर बैठकर अनुभव करते हैं कि वे स्वयं नदी हो गये हैं। इसी बात की पुष्टि करते हुए शुक्ल जी ने “नदी-चेहरा लोगों” से मिलने जाने की बात कहते हैं। उनकी रचना लेखक को प्रासंगिक लगी। अतः लेखक को शुक्ल की कविता याद आती है।

प्रश्न 13.
नदी और कविता में लेखक क्या समानता पाता है ?

उत्तर-
जिस प्रकार नदी सदियों से हमारे साथ रही है उसी प्रकार कविता भी मानव की जीवन-संगिनी रही है। नदी में विभिन्न जगहों से जल आकर मिलते हैं और वह प्रवाहित होकर सागर में समाहित होते रहते हैं। हर दिन सागर में समाहित होने के बावजूद उसमें जल का टोटा नहीं पड़ता। कविता में भी विभिन्न विडम्बनाएँ, शब्द भंगिमाओं, जीवन छवियाँ और प्रतीतियाँ आकर मिलती हैं और तदाकार होती रहती हैं। जैसे नदी जल-रिक्त नहीं होती, वैसे ही कविता शब्द-रिक्त नहीं होती। इस प्रकार नदी और कविता में लेखक अनेक समानता पाता है।

प्रश्न 14.
किसके पास तटस्थ रह पाना संभव नहीं हो पाता और क्यों?

उत्तर-
नदी और कविता के पास रहकर तटस्थ रह पाना संभव नहीं है। नदी किसी को अनदेखा नहीं करती वह सबको भिगोती है, अपने साथ करती है। कविता में भी न जाने कहाँ से कैसी-कैसी बिम्बमालाएँ शब्द भंगिमाएँ, जीवन छवियाँ और प्रतीतियाँ आकर मिलती और तदाकार होती रहती हैं। हम इसकी अभिभूति से बच नहीं सकते।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
निम्नांकित के लिंग-निर्णय करते हुए वाक्य बनाएं उत्तर-आवास आवास पुराना है।

उत्तर-
बन्दिश = बन्दिश याद है।

इमारत = इमारत पुरानी है।
रंगकर्मी = रंगकर्मी आते हैं।
अवधि = अवधि लंबी है।
नहानघर = नहानघर आधुनिक है।
ऑगन = ऑगन बड़ा है।
आसक्ति = आसक्ति बढ़ गई है।
प्रणति = प्रणति किया जाता है।

प्रश्न 2.
निम्नांकित के समास-विग्रह करते हुए भेद बताएँ

उत्तर-
यथासंभव = संभव भर (अव्ययीभाव)

पहले-पहल = पहला-पहला (अव्ययीभाव)
लोकप्रिय = लोगों में प्रिय (सप्तमी तत्पुरूष)
रंगकर्मी = नाटक करने वाला (कर्मधारय)
पचासेक = पचास का समूह (द्विगु)
कवियित्री = कविता करने वाली (कर्मधारय)
कविप्रणति = कवि का प्रणम (षष्ठी तत्पुरूष)
प्रतीक्षारत = प्रतीक्षा में रत (सतत्पुरूष)
अपलक = न पलक (नब्)
तदाकार = वस्तु के आकार (षष्ठी तत्पुरूष)

प्रश्न 3.
पाठ से अहिन्दी स्रोत के शब्द एकत्र कीजिए।

उत्तर-
आविन्यों, रोन, पीटर बुक, आर्कबिशप, वीलननव्व, कार्यसियन, ला शत्रूज, चैम्बर्स, डिपार्टमेंटल स्टोर, रेस्तराँ, ल मादामोजेल द आविन्यों, आन्द्रे ब्रेता, रेने शॉ, पालएलुआर, आदि।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों के वचन बदलें।

उत्तर-
रंगकर्मी = रंगकर्मियों

कविताएँ = कविता
उसकी = उसके
सामग्री = सामग्रियों
अनेक = एक
सुविधा = सुविधाएँ
अवधि = अवाधियों
पीड़ा = पीड़ाएँ
पत्तियाँ = पत्ती
यह = ये

गद्यांशों पर आधारित अर्थग्रहण-संबंधी प्रश्नोत्तर
  1. लगभग दस-बरस पहले पहली बार आविन्यों गया था। दक्षिण फ्रांस में रोन नदी के किनारे बसा एक पुराना शहर है जहाँ कभी कुछ समय के लिए पोप की राजधानी थी और अब गर्मियों में फ्रांस और यूरोप का एक अत्यन्त प्रसिद्ध और लोकप्रिय रंग-समारोह हर बरस होता है। उस बरस वहाँ भारत केन्द्र में था। पीटर ब्रुक का विवादास्पद ‘महाभारत’ पहले पहल प्रस्तुत किया जानेवाला था और उन्होंने मुझे निमंत्रण भेजा था। पत्थरों की एक खदान में, आविन्यों से कुछ मिलीमीटर दूर, वह भव्य प्रस्तुति हुई थी; सच्चे अर्थों में महाकाव्यात्मक। कुछ दिनों और ठहरा रहा था-कुमार गन्धर्व आए थे और उन्होंने एक आर्कबिशप के पुराने आवास के बड़े से आँगन में गया था। एक बन्दिश भी याद है : द्रुमद्रुम लता-लता। इस समारोह के दौरान वहाँ के अनेक चर्च और पुराने स्थान रंगस्थलियों में बदल जाते हैं।

प्रश्न-
(क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखिए।

(ख) लेखक पहली बार आविन्यों कब गया था?
(ग) आविन्यों क्या है और यह किस देश में है ?
(घ) आविन्यों आने का निमन्त्रण लेखक को किसने भेजा था और वहाँ पहले-पहल किसकी प्रस्तुति थी?
(ङ) लेखक ने किनके आने की बात कही है और वह कहाँ गया था?
(च) लेखक को कौन-सा बन्दिश याद है तथा उनके अनुसार समारोह की क्या विशेषता होती है?
उत्तर-
(क) पाठ का नाम – आविन्यों।

लेखक का नाम – अशोक वाजपेयी।
(ख) लेखक लगभग दस बरस पहले पहली बार आविन्यों गया था।
(ग) आविन्यों रोन नदी के किनारे बसा एक पुराना शहर है। यह दक्षिण फ्रांस में है। ।
(घ) लेखक को आविन्यों आने का निमन्त्रण पीटर ब्रुक ने भेजा था। वहाँ पीटर बुक का विवादास्पद ‘महाभारत’ पहले-पहल प्रस्तुत किया जाने वाला था।
(ङ) लेखक ने, कुमार गंधर्व को आने की बात कही है और उन्होंने एक आर्कबिशप के पुराने आवास के बड़े से आँगन में गया था।
(च) लेखक को एक बन्दिश याद है-“द्रुम द्रुम लता-लता”। इस समारोह के दौरान वहाँ । के अनेक चर्च और पुराने स्थान रंग-स्थलियों में बदल जाते हैं।

  1. फ्रेंच सरकार के सौजन्य से ला शत्रूज में रहकर अपना कुछ काम करने का एक न्यौता मुझे पिछली गर्मियों में मिला था। तब नहीं जा पाया था। यों अवधि तो एक महीने की थी पर इतना समय निकालना कठिन था। सो कुछ उन्नीस दिन वहाँ रहा, 24 अक्टूबर से 10 नवम्बर 1994 की दोपहर तक। अपने साथ हिन्दी का टाइपराइटर, तीन-चार पुस्तकें और कुछ संगीत के टेप्स भर ले गया था। सिर्फ अपने में रहने और लिखने के अलावा प्रायः कुछ और करने की कोई विवशता न होने का जीवन में यह पहला ही अवसर था। इतने निपट एकान्त में रहने का भी कोई अनुभव नहीं था। कुलं उन्नीस दिनों में पैंतीस कविताएँ और सत्ताईस गद्य रचनाएँ लिखी गई।

प्रश्न-
(क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखिए।

(ख) लेखक को किसके द्वारा और किस लिए पिछली गर्मियों में निमन्त्रण मिला था।
(ग) लेखक ला शत्रूज में कब से कब तक रहे ?
(घ) लेखक अपने साथ मुख्यतः क्या ले गए थे?
(ङ) लेखक के जीवन में कैसा अवसर पहले-पहल मिला था ?
(च) किस तरह का अनुभव लेखक को नहीं था और उन्होंने उन्नीस दिनों में कितने कविताएँ और गद्य की रचना की।
उत्तर-
(क) पाठ का नाम-आविन्यों।

लेखक का नाम- अशोक वाजपेयी।
(ख) लेखक को फ्रेंच सरकार के सौजन्य से ला शत्रूज़ में रहकर अपना कुछ काम करने का निमन्त्रण पिछली गर्मियों में मिला था।
(ग) लेखक ला शत्रूज में 24 अक्टूबर से 10 नवम्बर, 1994 की दोपहर तक रहे।
(घ) लेखक अपने साथ हिन्दी का टाइपराइटर, तीन-चार पुस्तकें और कुछ संगीत के टेप्स ले गये थे।
(ङ) सिर्फ अपने में रहने और लिखने के अलावा प्रायः कुछ और करने की कोई विवशता न होने का जीवन में यह लेखक के लिए पहला अवसर था।
(च) लेखक को सुनसान एकान्त स्थान में रहने का कोई पूर्व अनुभव नहीं था। उन्होंने कुल उन्नीस दिनों में पैंतीस कविताएँ और सत्ताइस गद्य की रचना की।

  1. आविन्यों फ्रांस का एक प्रमुख कलाकेन्द्र रहा है। पिकासो क्री विख्यात कृति का शीर्षक है ‘ल मादामोजेल द आविन्यों’। कभी अति यथार्थवादी कवित्रयी आन्द्रे ब्रेताँ, रेने शॉ और पाल ‘एलुआर ने मिलकर लगभग तीस संयुक्त कविताएँ आविन्यों में साथ रहकर लिखी थीं। ला शत्रूज के निदेशक ने जब इस पुस्तक की सामग्री देखी थी तो उन्हें इतनी अल्पावधि में इतने काम पर अचरज हुआ था। अचरज मुझे भी कम नहीं है। वे सुन्दर, निविड़, सघन, सुनसान दिन और रातें थी: भय, पवित्रता और आसक्ति से भरी हुई। यह पुस्तक उन सबकी स्मृति का दस्तावेज है। आविन्यों को, उसी के एक मठ में रहकर लिखी गई, कविप्रणति भी। हर जगह हम कुछ पाते, बहुत सा गंवाते हैं। ला शत्रूज में जो पाया उसके लिए गहरी कृतज्ञता मन में है और जो गवाया उसकी गहरी पीड़ा भी।

प्रश्न-
(क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखिए।

(ख) लेखक ने कवियत्री की संज्ञा किन्हें दिया है?
(ग) कवित्रयी द्वारा लगभग कितनी कविताओं की रचना आविन्यो। में की गई ?
(घ) ला शत्रूज के निदेशक को अचरज क्यों हुआ?
(ङ) लेखक ने आविन्यों में रचित पुस्तक को कैसी स्मृति का दस्तावेज माना है ?
(च) लेखक के द्वारा किसके लिए मन में गहरी कृतज्ञता एवं गहरी पीड़ा होने की बात कही गई है।
उत्तर-
(क) पाठ का नाम-आविन्यो।

लेखक का नाम अशोक वाजपेयी।
(ख) लेखक ने आर्दै ब्रेता, रेने शॉ और पाल एलुआर को कवित्रयी की संज्ञा दी है।
(ग) कवित्रयी के द्वारा लगभग तीस संयुक्त कविताएँ आविन्यों में रहकर लिखी गई थीं।
(घ) बहुत कम समय में पुस्तक हेतु अत्यधिक तैयार सामग्री को देखकर ला शत्रूज के निदेशक को अचरज हुआ।
(ङ) लेखक ने कहा है कि सुन्दर, निविड़; सुनसान और भय, पवित्रता, आसक्ति से भरी हुई दिन एवं रातें थीं। पुस्तक को उन सबकी स्मृति का दस्तावेज माना है।
(च) लेखक ने कहा है कि ला शत्रूज में जो पाया उसके लिए मन में गहरी कृतज्ञता है और जो गवाया उसकी गहरी पीड़ा है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

सही विकल्प चुनें

प्रश्न 1.
‘आविन्यों’ पाठ का लेखक कौन है ?

(क) नलिन विलोचन शर्मा ।
(ख) रामविलास शर्मा
(ग) अशोक वाजपेयी
(घ) यतीन्द्र मिश्र
उत्तर-
(ग) अशोक वाजपेयी

प्रश्न 2.
‘आविन्यों’ पाठ गद्य की कौन-सी विधा है ?

(क) कहानी
(ख) यात्रा-वृत्तांत
(ग) उपन्यास
(घ) रेखा चित्र।
उत्तर-
(ख) यात्रा-वृत्तांत

प्रश्न 3.
‘आविन्यों’ किस नदी के किनारे बसा है ?

(क) गंगा
(ख) नील
(ग) दोन
(घ) रोन
उत्तर-
(घ) रोन

प्रश्न 4.
‘ला शत्रूज’ क्या है ?

(क) नगर
(ख) गाँव
(ग) ईसाई मठ
(घ) महाविद्यालय
उत्तर-
(ग) ईसाई मठ

प्रश्न 5.
पिकासो क्या थे?

(क) कवि
(ख) चित्रकार
(ग) नाटककार
(घ) उपन्यासकार
उत्तर-
(ख) चित्रकार

प्रश्न 6.
‘आविन्यों’ की ख्याति किस रूप में है ?

(क) कला केन्द्र
(ख) सिनेमाघर
(ग) रंगमंच
(घ) नदी
उत्तर-
(ग) रंगमंच

रिक्त स्थानों की पूर्ति

प्रश्न 1.
रोन नदी के दूसरी ओर ………… का एक और हिस्सा है।

उत्तर-
आविन्यों

प्रश्न 2.
दो-दो कमरों के ……… सुरक्षित हैं।

उत्तर-
चैम्बर

प्रश्न 3.
वीलनव्व ल एक छोटा-सा ………… है।

उत्तर-
गाँव

प्रश्न 4.
नदी तट पर बैठने का अर्थ नदी के साथ …….. है।

उत्तर-
बहना

प्रश्न 5.
कविता ………. नहीं होती।

उत्तर-
शब्द-रिक्त

प्रश्न 6.
नदी और …………. में हम बरबस शामिल हो जाते हैं।

उत्तर-
कविता

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
आविन्यों के दूसरे हिस्से का क्या नाम है ?

उत्तर-
आविन्यों के दूसरे हिस्से का नाम वीलनव्य ‘ल’ आविन्यों अर्थात् आविन्यों का नया गाँव या नई बस्ती है।

प्रश्न 2.
“वीलनव्य ल” में कौन-कौन सी सुविधाएँ हैं?

उत्तर-
“वीलनव्य ल” में पत्र-पत्रिकाओं की एक दुकान, एक डिपार्टमेन्टल स्टोर और कई रेस्तराँ आदि हैं।

प्रश्न 3.
लेखक ‘आविन्यों” क्यों गए थे?

उत्तर-
लेखक को फ्रेंच सरकार के सौजन्य से ला शत्रुज में रहकर कुछ काम करने का आमंत्रण प्राप्त हुआ था।

प्रश्न 4.
लेखक “ला शत्रुज” में कितने दिनों तक रहे?

उत्तर-
लेखक “ला शत्रुज” में 24 अक्टूबर से 10 नवम्बर तक उन्नीस दिनों तक रहे।

प्रश्न 5.
लेखक ने “ला शत्रुज” के अपने प्रवास काल में कौन से कार्य सम्पादित किए?

उत्तर-
लेखक ने अपने प्रवास काल में ला शत्रुज में रहकर पैंतीस कविताएँ और सत्ताइस गद्य की रचनाएँ की।

प्रश्न 6.
पिकासो कौन थे और उनकी विख्यात कृति का नाम क्या है ?

उत्तर-
पिकासो फ्रांस के महान चित्रकार थे तथा उनकी विख्यात अमर कृति “ल मादामोजेल द आविन्यों” है।

प्रश्न 7.
“ला शत्रुज” का ऐतिहासिक महत्व क्या है ?

उत्तर-
“ला शत्रुज” में फ्रेंच-शासकों ने पोप की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए एक किला बनवाया था।

प्रश्न 8.
लेखक आविन्यों जाकर क्यों अभिभूत था ?

उत्तर-
लेखक आविन्यों जाकर वहाँ के प्राकृतिक दृश्य, ऐतिहासिक स्थल रोन नदी की अपूर्व छटा तथा सौंदर्य को देखकर अभिभूत था।

प्रश्न 9.
कौन सी दो वस्तुएँ सदा से हमारे साथ रही हैं ?

उत्तर-
नदी और कविता ऐसी दो वस्तुएं हैं जो सदा से हमारे साथ अथवा पास रही हैं।

प्रश्न 10.
आविन्यों क्या है और वह कहाँ अवस्थित है ?

उत्तर-
आविन्यों एक पुराना शहर है और वह दक्षिण फ्रांस में रोन नदी के किनारे बसा है।

प्रश्न 11.
हर बरस आविन्यों में कब और कैसा समारोह हुआ करता है ?

उत्तर-
हर बरस गर्मियों में फ्रांस और यूरोप का एक अत्यन्त प्रसिद्ध और लोकप्रिय रंग-समारोह आविन्यों में हुआ करता है।

आविन्यों लेखक परिचय

अशोक वाजपेयी का जन्म 16 जनवरी 1941 ई० में दुर्ग, छत्तीसगढ़ में हुआ, किंतु उनका ‘ मूल निवास सागर, मध्यप्रदेश है । उनकी माता का नाम निर्मला देवी और पिता का नाम परमानंद वाजपेयी है । उनकी प्रारंभिक शिक्षा गवर्नमेंट हायर सेकेंड्री स्कूल, सागर से हुई । फिर सागर विश्वविद्यालय से उन्होंने बी० ए० और सेंट स्टीफेंस कॉलेज, दिल्ली से अंग्रेजी में एम० ए० किया। उन्होंने वृत्ति के रूप में भारतीय प्रशासनिक सेवा को अपनाया । वे भारतीय प्रशासनिक सेवा के कई पदों पर रहे और महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति पद से सेवानिवृत्त हुए । संप्रति, वे दिल्ली में भारत सरकार की कला अकादमी के निदेशक हैं।

अशोक वाजपेयी की लगभग तीन दर्जन मौलिक और संपादित कृतियाँ प्रकाशित हैं। ‘शहर अब भी संभावना है’, एक पतंग अनंत में’, ‘तत्पुरुष’, ‘कहीं नहीं वहीं’, ‘बहुरि अकेला’, थोड़ी सी जगह’, ‘दुख चिट्ठीरसा है’ आदि उनके कविता संकलन हैं । ‘फिलहाल, ‘कुछ पूर्वग्रह’, ‘समय से बाहर’,’कविता का गल्प’, ‘कवि कह गया है’ आदि उनकी आलोचना की पुस्तकें हैं । उनके द्वारा संपादित पुस्तकों की सूची भी लंबी है – ‘तीसरा साक्ष्य’, ‘साहित्य विनोद’, ‘कला विनोद’, ‘कविता का जनपद’, मुक्तिबोध, शमशेर और अज्ञेय की चुनी हुई कविताओं का संपादन आदि। उन्होंने कई पत्रिकाओं का भी संपादन किया है जिनमें ‘समवेत’, ‘पहचान’, ‘पूर्वग्रह’, ‘बहुवचन’ ‘कविता एशिया’, ‘समास’ आदि प्रमुख हैं । अशोक वाजपेयी को साहित्य अकादमी पुरस्कार दयावती मोदी कवि शेखर सम्मान, फ्रेंच सरकार का ऑफिसर आव् द आर्डर आव् क्रॉस 2004 सम्मान आदि प्राप्त हो चुके हैं।

सर्जक साहित्यकार अशोक वाजपेयी द्वारा रचित प्रस्तुत पाठ में एक संश्लिष्ट रचनाधर्मिता की अंतरंग झलक है । यह पाठ उनके ‘आविन्यों’ नामक गद्य एवं कविता के सृजनात्मक संग्रह से संकलित है । इसी नाम के संग्रह में उनकी सृजनात्मक गद्य की कुछ रचनाएँ और कविताएँ हैं जिनमें से दोनों विधाओं की दो रचनाओं के साथ पुस्तक की भूमिका भी किंचित संपादित रूप में यहाँ प्रस्तुत है । आविन्यों दक्षिणी फ्रांस का एक मध्ययुगीन इसाई मठ है जहाँ लेखक ने बीस-एक दिनों तक एकांत रचनात्मक प्रवास का अवसर पाया था ।

प्रवास के दौरान लगभग प्रतिदिन गद्य और कविताएँ लिखी गईं। इस तरह हिंदी ही नहीं, भारत से भिन्न स्थान और परिवेश के एकांत प्रवास में एक निश्चित स्थान और समय से अनुबद्ध मानस के सृजनात्मक अनुष्ठान का साक्षी यह पाठ एक वैश्विक जागरूकता और संस्कृतिबोध से परिपूर्ण रचनाकार के मानस की अंतरंग झलक पेश करते हुए यह दिखाता है कि रचनाएँ कैसे रूप-आकार ग्रहण करती हैं। कोई भी रचना महज एक शब्द व्यवस्था भर नहीं होती, उसकी निर्माण प्रक्रिया में रचनाकार की प्रतिभा, उसके जटिल मानस के साथ स्थान और परिवेश की भूमिका भी महत्त्वपूर्ण होती है।

आविन्यों Summary in Hindi
पाठ का सारांश

लगभग दस बरस पहले पहली बार आविन्यों गया था। दक्षिण फ्रांस में रोन नदी के किनारे बसा एक पुराना शहर है जहाँ कमी कुछ समय के लिए पोप राजधानी थी और अब गर्मियों में फ्रांस ओर यूरोप का एक अत्यन्त प्रसिद्ध और लोकप्रिय रंग-समारोह हर बरस होता है। उस बरस वहाँ भारत केन्द्र में था। पीटर ब्रुक का विवादास्पद ‘महाभारत’ पहले पहल प्रस्तुत किया जाने वाला था और उन्होंने मुझे निमंत्रण भेजा था।

रोन नदी के दूसरी ओर आविन्यों का एक हिस्सा है जो लगभग स्वतंत्र है। नाम है वीलनव्व आविन्यों-वहाँ दरअसल फ्रेंच शासकों ने पोप की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए किला बनवाया था। उसी में काथूसियन सम्प्रदाय का एक ईसाई मठ बना ला शत्रूज। चौदहवीं सदी से फ्रेंच क्रांति तक उसका धार्मिक उपयोग होता रहा। अब इसमें एक कलाकेन्द्र स्थापित है। यह केन्द्र इन दिनों रंगमंच और लेखन से जुड़ा हुआ है।

मेरा प्रवास वहाँ उन्नीस दिन का था, 24 अक्टूबर से 10 नवम्बर 1994 की दोपहर तक। कुल उन्नीस दिनों में पैंतीस कविताएँ और सत्ताईस गद्य रचनाएँ लिखी गई। आविन्यों फ्रांस का एक प्रमुख कलाकेन्द्र रहा है। पिकासो की विख्यात कृति का शीर्षक है ‘लमादामोजेल द आविन्यों’

प्रतीक्षा करते हैं पत्थर

किसी देवता या काल की नहीं पता नहीं किसकी प्रतीक्षा करते हैं पत्थर-धीरज से रेशा-रेशा झिरते हुए, शिरा-शिरा घिलते हुए, प्रतीक्षारत रहते हैं एन्थर। बिना शब्द कविता लिखते हैं, पत्थर। पता नहीं किसकी प्रतीक्षा करते हैं पत्थर।

नदी के किनारे भी नदी है ।

यहाँ पास में ही रोन नदी है। इस तरफ वीलनव्व और दूसरी ओर आविन्यों। तट पर बैठो तो कई बार लगता है कि जल स्थिर है और तट ही बह रहा है। नदी तट पर बैठना भी नदी के साथ बहना है; कई बार नदी स्थिर होती है, हम तट पर बैठे रहते हैं। नदी के पास होना नदी होना है। नदी किसी को अनदेखा नहीं करती, वह सबको भिगोती है, अपने साथ करती है। उसी प्रकार कविता में हम बरबस ही शामिल हो जाते हैं।

शब्दार्थ

महाकाव्यात्मक : महाकाव्य की तरह व्यापक और गहरा
रंगस्थल : नाटक मंचन स्थल
द्रुम : पेड़-पौधा
स्थापत्य : वास्तु-रचना, भवन-निर्माण कला
जीर्णोद्धार : पुराने को नया करना
सुघर : कुशल
चैम्बर्स : प्रकोष्ठ, कमरे
नीरव : शब्दहीन, ध्वनिहीन
निफ्ट : नंगा, निरा, स्पष्ट
निविद : घना, सघन
आसक्ति : गहरा भावात्मक लगाव
दस्तावेज : ऐसे कागजात जिनमें किसी वस्तु का सारा विवरण हो
कविप्रणति : कवि का कृतज्ञतापूर्ण प्रणाम
बियाबान : निर्जन, सुनसान
बेहद्दी चौगान : सीमाहीन खुला मैदान
तदाकार : किसी वस्तु के आकार में ढल जाना
अभिभूति : पराजय, अत्यंत प्रभावित होना ।
नश्वरता : भंगुरता, नाशशीलता

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